लागत घटाने के लिए तीव्र परमाणु रिएक्टरों में होगा बदलाव
चेन्नई, 18 जनवरी (आईएएनएस)। इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) के वैज्ञानिक व इंजीनियर परमाणु विद्युत संयंत्रों के लिए चार तीव्र रिएक्टरों के स्वरूप में बदलाव की योजना में लगे हुए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इससे लगभग पांच अरब रुपये की बचत हो सकेगी।
आईजीसीएआर के निदेशक बलदेव राज ने आईएएनएस को बताया, "हमारे द्वारा डिजाइन किए गए ये रिएक्टर प्रारंभिक तीव्र उत्पादक रिएक्टरों (पीएफबीआर) से कई मामलों में भिन्न होंगे।"
35 अरब रुपये की लागत वाली पीएफबीआर परियोजना कलपक्कम में प्रगति पर है। भारत सरकार ने 500 मेगावाट के चार और तीव्र रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दे रखी है।
ब्रीडर रिएक्टर जितनी खुराक ग्रहण करते हैं, उससे कहीं ज्यादा ईंधन किसी नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया के लिए पैदा करते हैं। इस तरह अभिक्रिया लगातार जारी रहती है और अंत में इससे बिजली पैदा होती है।
भारतीय तीव्र रिएक्टरों में ईंधन के रूप में प्लूटोनियम व यूरेनियम ऑक्साइड का मिश्रण इस्तेमाल किया जाएगा।
हालांकि रिएक्टर, बिजली पैदा करने के लिए विखंडित प्लूटोनियम ग्रहण करेंगे। लेकिन ये रिएक्टर प्राकृतिक यूरेनियम से जितनी मात्रा ग्रहण करेंगे, उससे कहीं ज्यादा मात्रा में प्लूटोनियम भी पैदा करेंगे।
चूंकि परमाणु विखंडन से निकलने वाले न्यूट्रान नियंत्रित नहीं होंगे, लिहाजा इन रिएक्टरों को तीव्र स्पेक्ट्रम रिएक्टर भी कहा जाएगा।
इन प्रस्तावित रिएक्टरों में से दो रिएक्टर कलपक्कम में लगाए जाएंगे। इनके लिए स्थान पारित किए जा चुके हैं। अन्य दो रिएक्टरों के लिए स्थान तय किया जाना अभी बाकी हैं।
रिएक्टर इंजीनियरिंग समूह के निदेशक एस. सी. चेतन ने आईएएनएस को बताया, "चार ऑक्साइड ईंधन वाले तीव्र रिएक्टरों पूरी योजना तैयार हैं। अनुसंधान व विकास का खाका अगले महीने तैयार कर लिया जाएगा।"
चेतन के अनुसार पीएफबीआर से पैदा होने वाली बिजली को 3.20 रुपये के बदले 2 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बेचने का विचार है। इसलिए लागत पूंजी को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।