गालिब के लिए जन्मदिन दोस्तों के साथ खाने के पीने के मजे लूटने मौका होता था
नई दिल्ली, 28 दिसम्बर (आईएएनएस)। मशहूर उर्दू शायर मिर्जा असदउल्ला खां गालिब अगर आज हमारे बीच होते तो वह अपना जन्मदिन दोस्तों यारों के बीच पसंदीदा पकवानों का लुत्फ उठाते और जाम छलकाते हुए मनाते।
शायरी में रुमानियत के साथ-साथ तरक्की पसंदगी को शुमार करने वाले गालिब अगर जिंदा होते तो बीते शनिवार को वे 212 साल के हो जाते।
गालिब निहायत खर्चीले इंसान थे। अगर वे जिंदा होते तो उनके जन्मदिन के अवसर पर यकीनन दस्तरखान बिछा होता और वे अपने समकालीन शायरों जौक, अपने सबसे करीबी दोस्त व प्रतिद्वंद्वी मोमिन, मेहंदी मजरूह के साथ मिलकर एक मुशायरा आयोजित करते।
हजरत निजामुद्दीन स्थित गालिब संग्रहालय के लाल मोहम्मद कहते हैं, "गालिब खाने-पीने के बहुत शौकीन व्यक्ति थे।"
मोहम्मद के अनुसार वह अपने भोजन की शुरुआत शर्बत से करते और उसके बाद वह सींक कबाब, चना दाल, कोफ्ता, करेला करी, मूंग की सालन, शामी कबाब, याखनी, माश की दाल, दही व बेसन की रोटी लेना पसंद करते।
मोहम्मद ने आईएएनएस को बताया, "नाश्ते में वह अल्फांसो आम, अंगूर, मिश्री, बादाम और चाय लेना पसंद करते।"
गालिब के शाही अंदाज के भोजन में इस्तेमाल किए जाने वाले बरतन, उनके कपड़े व उनसे जुड़ी अन्य सामग्रियां संग्रहालय में आज भी लोगों की उत्सुकता और आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
पीने में अकूत पैसा बहाने वाले गालिब अच्छे कपड़ों के भी शौकीन थे। जहां वह किसी खास आयोजन के लिए कढ़ाईदार बंदगला पहनते थे, वहीं सामान्य अवसरों पर नीबू के रंग के हल्के सिल्क का लंबा कुर्ता व छोटी सदरी पहनना पसंद करते थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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