कंधमाल राहत शिविरों में बेबस हैं गर्भवती महिलाएं
उड़ीसा, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। उड़ीसा में कंधमाल जिले के राहत शिविरों में रह रही गर्भवती महिलाएं बेबस और लाचार हैं। उनकी बेबसी का आलम यह है कि कई महिलाओं को इन शिविरों में ही प्रसव क्रिया कराना पड़ रही है।
उड़ीसा, 25 अक्टूबर (आईएएनएस)। उड़ीसा में कंधमाल जिले के राहत शिविरों में रह रही गर्भवती महिलाएं बेबस और लाचार हैं। उनकी बेबसी का आलम यह है कि कई महिलाओं को इन शिविरों में ही प्रसव क्रिया कराना पड़ रही है।
इन महिलाओं के पास जमीन पर एक चटाई बिछाकर सोने के सिवाय कोई चारा नहीं है। खाने के नाम पर दाल और चावल है जिसके सहारे वह अपनी और होने वाली संतान दोनों की हिफाजत कर रही हैं।
जिले के जी. उदयगिरी कस्बे के एक राहत शिविर में रह रही 25 वर्षीय सरिता नायक गर्भवती हैं। वह कहती हैं,"हम भला क्या कर सकते हैं। गांव में मेरे पास रहने के लिए घर तक नहीं बचा है। "
सरिता ने बताया कि पिछले दो महीनों के दौरान राहत शिविर में ही 30 से अधिक बच्चों ने जन्म लिया है और अभी कई महिलाओं को मजबूरन वहीं पर प्रसव पीड़ा से गुजरना पड़ सकता है।
उनके पति एक दिहाड़ी मजदूर हैं और विगत दो महीनों में सरिता को खाने लिए एक अंडा तक नहीं नसीब हो सका। वह अपनी बेबसी के लिए ईसाई विरोध हिंसा को अंजाम देने वालों को जिम्मेदार मानती हैं।
इसी राहत शिविर में रह रही 75 वर्षीय लीलावती प्रधान का कहना है गर्भवती महिलाएं बहुत तकलीफें झेल रही हैं।
उधर जिला प्रशासन ने गर्भवती महिलाओं के लिए फौरी तौर पर कुछ नर्सो और दाइयों की व्यवस्था जरूर की है। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कुछ सामाजिक कार्यकर्ता भी यहां मौजूद हैं।
गौरतलब है कि 23 अगस्त को कंधमाल में विश्व हिंदू परिषद(विहिप) के नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या के बाद ईसाई विरोधी हिंसा शुरू हुई थी। इसमें कम से कम 38 लोग मारे गए थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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