स्पीकर को सरकार के पक्ष में मतदान करना चाहिए : चटर्जी
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर (आईएएनएस)। लोकसभा स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने रविवार को कहा कि 22 जुलाई को हुए विश्वासमत के दौरान अगर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार व विपक्ष में बराबर-बराबर मत पड़ते तो वे कानूनी तौर पर सरकार के पक्ष में मतदान करने को बाध्य हो सकते थे।
स्पीकर का पद छोड़ने से इनकार करने के कारण मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) से निकाले गए चटर्जी ने लोकसभा चैनल से बातचीत में कहा, "कानूनी तौर पर स्पीकर के लिए मत का प्रयोग करना विकल्प का मुद्दा नहीं होता।" ऐसे में कानून और विभिन्न लोकतंत्रों में संसदीय परंपरा को ध्यान में रखते हुए स्पीकर को अपने मत में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए।
चटर्जी से पूछा गया कि बराबरी की स्थिति में अगर उनको मतदान करना पड़ता तो वे क्या करते। इस पर उन्होंने कहा, "स्पीकर को यथास्थिति के लिए मतदान करना पड़ता है। "
उन्होंने कहा कि किसी कानून में संशोधन के लिए भी मतदान होता है और अगर स्पीकर को मतदान करना पड़ता है तो स्पीकर का संशोधन के खिलाफ मतदान करना पड़ता है।
चटर्जी ने इस बात को भी उठाया कि सांसदों की सदस्यता रद्द करने के लिए स्पीकर या राज्य सभा के चेयरपर्सन के बजाय कोई दूसरी संस्था होनी चाहिए। संभवत: वह चुनाव आयोग हो सकता है। चटर्जी ने यह बात 22 जुलाई के विश्वासमत के संदर्भ में सांसदों की सदस्यता रद्द करने संबंधी आवेदनों के बारे में पूछे गए सवाल पर कही।
सन 1996 में वयोवृद्ध कम्युनिस्ट नेता ज्योति बसु को प्रधानमंत्री नहीं बनाने के माकपा के निर्णय को ऐतिहासिक गलती करार देते हुए चटर्जी ने कहा कि उनकी बसु को प्रधानमंत्री बनाने की इच्छा थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।