बुधवार को महाप्रलयः क्या है हकीकत?
आखिर
क्या
है
यह
प्रयोग?
आखिर
सच्चाई
क्या
है?
आइये
यह
जानने
की
कोशिश
करें
कि
ब्रह्मांड
की
गुत्थी
को
सुलझाने
के
लिए
होने
वाले
ये
प्रयोग
आखिर
हैं
क्या?
दरअसल
यह
भय
उपजा
है
उस
मशीन
से
जो
ऐटम
के
सारे
रहस्य
हल
करने
के
लिए
बनाई
गई
है।
वैज्ञानिकों
के
अनुसार
यह
मशीन
पता
लगाएगी
कि
अंतरिक्ष
से
लेकर
पृथ्वी
तक
कण-कण
में
ऐसा
क्या
है,
जिससे
कोई
चीज
भारी
होती
है
या
हल्का।
इस
प्रयोग
में
लगे
वैज्ञानिक
यह
पता
लगाना
चाहते
हैं
कि
आखिर
डार्क
मैटर
क्या
है?
वैज्ञानिक
कैसे
अंजाम
देंगे
इसे?
जिनीवा
के
यूरोपियन
ऑर्गनाइजेशन
फॉर
न्यूक्लियर
रिसर्च
(सीईआरएन)
में
बुधवार
को
होने
वाले
एक्सपेरिमेंट
पर
सबकी
निगाहें
टिकी
हुई
हैं।
वैज्ञानिकों
को
उम्मीद
है
कि
इससे
ब्रह्मांड
के
जन्म
से
लेकर
कैंसर
के
इलाज
तक
का
हल
तलाशा
जा
सकेगा।
10
सितंबर
को
यहां
लार्ज
हैडरन
कोलाइडर
(एलएचसी)
शुरू
होने
वाला
है।
इसमें
दो
'प्रोटॉनों'
की
आपस
में
टक्कर
कराई
जाएगी।
ब्रह्मांड
की
उत्पत्ति
के
रहस्य
वैज्ञानिक
दो
साइक्लोट्रान
से
निकलने
वाली
विद्युत
आवेशित
किरणों
की
टक्कर
से
निकलने
वाली
ऊर्जा
को
परखनली
में
कैद
कर
ब्रह्मांड
की
उत्पत्ति
के
रहस्यों
का
अध्ययन
करना
चाहते
हैं।
मशीन
से
उतनी
ऊर्जा
पैदा
करने
की
कोशिश
की
जाएगी
जितनी
बिग
बैंग
(ब्रह्मांड
के
महाविस्फोट)
के
समय
हुई
थी।
यानी
सूर्य
से
एक
लाख
गुना
ज्यादा
गर्मी।
इसके
लिए
साइक्लोट्रोन
और
सिंक्लोट्रोन
के
जरिए
उच्च
वोल्टेज
के
चुंबकीय
तरंगों
के
बीच
हेड्रोन
के
प्रवाह
से
ऊर्जा
पैदा
किया
जाएगा।
आगे पढ़ें... क्या संभव है ब्रह्मांड का महाविनाश?