अपराध की दुनिया से बाहर निकलना चाहती है कबूतरा व कंजड़ जाति की नई पीढ़ी
झांसी, 1 सितम्बर (आईएएनएस)। अपराध उनकी जिन्दगी का हिस्सा बन चुका है, समाज भी उन्हें हिकारत भरी नजर से देखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका पेट गलत रास्ते से कमाई गई दौलत से चल रहा है। अब वे भी उस दुनिया से बाहर निकलना चाहते है, जिसने कबूतरा और कंजड़ जाति को अपराधी बना दिया है। इसके लिए प्रशासन ने भी पहल की है।
बुंदेलखंड के झांसी, ललितपुर, उरई, हमीरपुर, बांदा आदि इलाकों में शराब बनाने से लेकर लूट-पाट, चोरी-डकैती, राहजनी कबूतरा तथा कंजड़ जाति का पेशा है। वे करते जरूर अपराध हैं मगर जिन्दगी ऐशा ेआराम की जीते हैं। हालत यह है कि इन जातियों के कई ऐसे गांव है जहां की बस्ती के हर घर में चार पहिया का वाहन खड़ा है। ये जातियां आम आदमी से लेकर पुलिस तक के लिए सिर दर्द बनी हुई है।
पिछले दिनों झांसी प्रशासन द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में एक बात सामने आई कि इन दोनों जातियों की नई पीढ़ी पुश्तैनी पेशे से आजिज आ चुकी है और बाहर निकलकर मुख्य धारा में शामिल होना चाहती है। कई लड़के लड़किया पढाई कर रहे हैं और उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं।
नई पीढ़ी की इच्छा को जानकर झांसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ए़ एल़ एंटनी देवकुमार ने पहल की। उन्होंने कबूतरा और कंजड़ जाति के नौजवानों तथा महिलाओं को आमंत्रित किया। सोमवार को झांसी के पुलिस लाइन में जमा हुए इन लोगों ने अपनी राय एक बार फिर जाहिर की। पुलिस की ओर से उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया।
देवकुमार ने आईएएनएस को बताया हैं कि ये जातियां अनुसूचित जन जाति में आती हैं और आने वाले समय में बैगलाग के पद भरे जाने हैं। वे चाहते हैं कि जरायम पेशा से जुड़े ये लोग जो शारीरिक तौर पर तो मजबूत हैं तथा अध्ययन कर लें तो आरक्षक बन सकते हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस वर्ग की नई पीढ़ी अपने आप को बदलने में सफल होगी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।