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बिहार बाढ़ : कोसी की विनाशलीला जारी, राहत कार्यो में जुटी सेना (लीड-1)

By Staff
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पटना, 1 सितम्बर (आईएएनएस)। नेपाल के कुशहा में तटबंध टूटने के बाद से कोसी नदी की विनाशलीला लगातार जारी है और बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्यो में सेना के सैंकड़ों जवान जुटे हैं।

सीमांचल में बाढ़ की विभीषिका में हजारों लोग लापता बताए जा रहे हैं वहीं एक सौ से ज्यादा लोगों के मरने का अनुमान है। हालांकि,सरकार अभी भी बाढ़ से मरने वालों की संख्या 70 ही बता रही है।

कोसी की धारा ने पूर्णिया के कई नए इलाकों में प्रवेश कर लिया है। धरहरा कोठी, धमदाहा और भवानीपुर के सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी आ गया है।

नेपाल में गंडक के जलग्रहण क्षेत्रों में जारी बारिश के कारण वाल्मिकीनगर के गंडक बैराज से पिछले 24 घंटे में दो लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण पश्चिमी चंपारण जिले के ठकराहा, भीतहा, मधुबनी और पिपरासी प्रखंड के नए इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।

पूर्णिया में बनमनखी-बिहारीगंज रेलवे लाइन पर बाढ़ का पानी आ जाने से रेल यातायात प्रभावित हुआ है। राजमार्ग संख्या 106 में मधेपुरा-सिंहेश्वर के बीच कई जगहों पर बाढ़ का पानी बह रहा है। फारबिसगंज के शहरी इलाकों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाने से लोगों की परेशानियां बढ़ी हैं।

उधर, आपदा प्रबंधन विभाग के विशेष सचिव प्रत्यय अमृत ने सोमवार को आईएएनएस को बताया कि भारतीय थल सेना के 14 तथा नौसेना की नौ टुकड़ियां मधेपुरा, सुपौल, अररिया तथा सहरसा में राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं। उन्होंने बताया कि बचाव और राहत कार्यो में तेजी लाने के लिए बिहार प्रशासनिक सेवा के 22 अधिकारियों को सुपौल, अररिया और सहरसा जिलों में तैनात किया गया है।

अमृत ने कहा कि सरकार ने मधेपुरा और सुपौल के उन प्रखंडों की पहचानकर युद्घस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य प्रारंभ कर दिए हैं, जहां अब तक पहुंचना मुश्किल था। उन्होंने बताया कि बाढ़ में फंसे लगभग 20 लाख की आबादी में से 10 लाख लोगों को सरकारी या निजी प्रयासों से सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा दिया गया है। उनका मानना है कि बाढ़ के कारण अब तक 70 लोगों की मौत हो चुकी है।

अमृत ने बताया कि पूर्णिया और सहरसा में चल रहे कुल 175 राहत शिविरों में डेढ़ लाख लोगों को पनाह दी गई है। उन्होंने कहा कि पूर्णिया और सहरसा में 'बाढ़ राहत मेगा कैम्प' की स्थापना की गई है, जहां चार हजार तंबू पहुंचाए जा चुके हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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