अनचाही बच्चियों की कहानी कह रही हैं नुपूर
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। आगरा की वैजयंती का वैवाहिक जीवन उस वक्त एक दु:स्वप्न बन गया, जब लिंग जांच के बाद पता चला कि उसके गर्भ में दूसरी बार भी लड़की ही पल रही है। ससुराल वालों ने उस पर गर्भपात के लिए दबाव डालना शुरू किया तो उसने पति का घर ही छोड़ दिया।
नई दिल्ली, 28 अगस्त (आईएएनएस)। आगरा की वैजयंती का वैवाहिक जीवन उस वक्त एक दु:स्वप्न बन गया, जब लिंग जांच के बाद पता चला कि उसके गर्भ में दूसरी बार भी लड़की ही पल रही है। ससुराल वालों ने उस पर गर्भपात के लिए दबाव डालना शुरू किया तो उसने पति का घर ही छोड़ दिया।
स्वतंत्र फिल्म निर्माता नुपूर बासु निर्देशित 25 मिनट के वृत्तचित्र 'नो कंट्री फोर यंग गर्ल्स' इस महिला को केंद्र में रखकर तैयार की गई है। इसमें महिला भ्रूण हत्या सहित भारत में महिलाओं की स्थिति को उजागर करने का प्रयास भी किया गया है जो इसी महीने प्रसारित बीबीसी वृत्तचित्र श्रृंखला 'लाइफ ऑन द एज' का हिस्सा है।
पूर्व में पत्रकार रह चुकीं बासु 27 वर्षीय वैजयंती को देश के उन सभी हिस्सों में ले गईं जहां बेटी को श्राप और बेटे के बिना परिवार को अधूरा माना जाता है। इन सारी स्थितियों को वैजयंती अब भली-भांति समझ रही है।
वर्ष 1994 में बने कानून का उल्लंघन कर आज भी देश के ज्यादातर हिस्सों में गर्भ में पल रहे शिशु की लिंग जांच की जा रही है और लड़कियों को गर्भ में ही मार दिया जा रहा है। परिणामस्वरूप देश के ज्यादातर हिस्सों में लड़कों के मुकाबले लड़कियों का अनुपात कम हो रहा है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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