बांग्लादेश में खस्ताहाल है सन 1934 में बनी देवदास की एकमात्र प्रति
ढाका, 22 अगस्त (आईएएनएस)। वर्ष 1934 में बनी प्रथमेश बरुआ की फिल्म देवदास की संभवत: आखिरी प्रति बांग्लादेश के फिल्म अभिलेखागार में खस्ता हालत में पड़ी हुई है। इसकी आवाज और वीडियो की गुणवत्ता दिन पर दिन खराब होती जा रही है।
अपने समय के जानेमाने अदाकार और निर्देशक बरुआ ने शरत चंद्र चटर्जी के उपन्यास पर आधारित सन 1934 में बनी पहली 'देवदास' में शीर्ष भूमिका निभाई थी। बाद में देवदास के कई संस्करण बने, लेकिन पहली फिल्म होने के कारण बरुआ की फिल्म का अलग महत्व है।
समाचार पत्र 'द डेली स्टार' के संवाददाता ने यह फिल्म देखने के बाद लिखा, "फिल्म का प्रिंट बेहद खराब हालत में है। मात्र कुछ फुट की दूरी से पूरा ध्यान देकर सुनने के बावजूद पार्वती (पारो)और उसके पति के संवाद नहीं सुनाई पड़ते। प्रोजेक्शन करने वाला व्यक्ति लाख प्रयास करने पर भी आवाज का स्तर नहीं सुधार पाया।"
संवाददाता ने लिखा है कि अभिलेखागार में फिल्मों का संरक्षण करने के लिए बेहद पुरानी तकनीकों और रसायनों का प्रयोग किया जा रहा है। कर्मचारी नंगे हाथों से फिल्म को छूते हैं और फिल्म को भी टिन के जंग लगे डब्बों में रखा गया है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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