एक बार फिर से बेघर होंगे ज्ञानेंद्र
काठमांडू, 22 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाल की जनता ने चुनावों के चार महीने बाद माओवादियों की सरकार बनने से भले ही राहत की सांस ली हो, लेकिन इसके बाद अब पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को एक बार फिर से बेघर होना पड़ेगा।
काठमांडू, 22 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाल की जनता ने चुनावों के चार महीने बाद माओवादियों की सरकार बनने से भले ही राहत की सांस ली हो, लेकिन इसके बाद अब पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र को एक बार फिर से बेघर होना पड़ेगा।
ज्ञानेंद्र राजपाट छिनने के बाद से नार्गाजुन महल में रह रहे हैं, लेकिन जल्द ही उन्हें यहां से भी जाना पड़ेगा। आजकल आत्मकथा लिखने में व्यस्त ज्ञानेंद्र ने अपने लिए नया आशियाना भी तलाशना शुरू कर दिया है।
गिरिजाप्रसाद कोइराला सरकार ने किसी जमाने पर शाही परिवार की शिकारगाह रहे लॉज में राजपरिवार को ठहरने की इजाजत दी थी। जबकि माओवादी नेता पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने अप्रैल को चुनाव जीतने के बाद कहा था कि उनके सत्ता में आते ही ज्ञानेंद्र से नया ठिकाना तलाशने को कहा जाएगा।
पिछले सप्ताह प्रचंड के नेपाल के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण करते ही पूर्व नरेश को अपना भविष्य साफ दिखाई देने लगा।
नेपाली साप्ताहिक 'जनआस्था' के अनुसार ज्ञानेंद्र अपने चाचा एवं दिवंगत राजकुमार हिमालय के निवासस्थान को अपना आशियाना बना सकते हैं। साप्ताहिक में कहा गया है कि काठमांडू के छावनी क्षेत्र में स्थित इस आलीशान हवेली ज्ञानेंद्र के नाम उस समय कर दी गई थी, जब वे युवराज थे।
नायाणहिती महल में रहने के लिए जाने से पहले ज्ञानेंद्र निर्मल निवास में रहते थे, लेकिन उसमें वह लौट नहीं सकते,क्योंकि वह इसे अपने पुत्र पूर्व युवराज पारस को दे चुके हैं। पारस अपने परिवार के साथ सिंगापुर जा चुके हैं, लेकिन पत्र के मुताबिक पूर्व युवराज्ञी हिमानी अपने सबसे छोटी बच्ची के साथ लौट आई हैं।
हिमानी अपनी पुत्री कृत्रिका के साथ काठमांडू रहेंगी, जबकि उनके दो बड़े बच्चे इस समय सिंगापुर में पढ़ रहे हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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