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बीजिंग ओलंपिक : विजेंदर ने जीता करोड़ों देशवासियों का दिल (लीड-1)

By Staff
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बीजिंग, 22 अगस्त (आईएएनएस)। हार हमेशा अपने साथ निराशा के भाव लाती है, लेकिन मुक्केबाज विजेंदर कुमार के पास हारकर निराश होने की कोई वजह नहीं। वे क्यूबा के मुक्केबाज एमिलियो कोरिया बेयोक्स के हाथों सेमीफाइनल में भले ही हार गए हों, लेकिन उन्होंने करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया।

बीजिंग, 22 अगस्त (आईएएनएस)। हार हमेशा अपने साथ निराशा के भाव लाती है, लेकिन मुक्केबाज विजेंदर कुमार के पास हारकर निराश होने की कोई वजह नहीं। वे क्यूबा के मुक्केबाज एमिलियो कोरिया बेयोक्स के हाथों सेमीफाइनल में भले ही हार गए हों, लेकिन उन्होंने करोड़ों देशवासियों का दिल जीत लिया।

विजेंदर ने सेमीफाइनल मुकाबला गंवाने के बाद कहा, "सॉरी सर, मैं हार गया। मैंने सोचा था कि मैं जीत सकता हूं। शायद शुरू में ही रक्षात्मक रुख अपना कर मैंने गलती की।"

विजेंदर ने काफी रक्षात्मक होकर मुकाबले की शुरुआत की। इसी का नतीजा हुआ कि कोरिया पहले राउंड में ही दो अंक बटोरने में सफल रहे।

दूसरा राउंड हालांकि विजेंदर के नाम रहा। यह अलग बात है कि कोरिया ने भी इस राउंड में दो अंक बटोरे, लेकिन विजेंदर ने अपने मुक्कों का जलवा बिखेरते हुए तीन अंक हासिल करते हुए स्कोर 3-4 कर लिया।

तीसरा राउंड कोरिया के लिहाज से महत्वपूर्ण साबित हुआ। विजेंदर ने इस राउंड में तीन अंक गंवाए, जिसके कारण कोरिया 7-3 से आगे हो गए। निराशा की बात यह रही कि सबसे अहम माने जा रहे इस राउंड में विजेंदर एक भी अंक नहीं बटोर सके।

चौथे राउंड में विजेंदर ने भरपूर कोशिश की। इस दौर में कोरिया के फाउल के कारण विजेंदर को दो अतिरिक्त अंक भी मिले, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। आखिर के 40 सेकेंड में कोरिया ने एक अंक और बटोर लिया। इस अंक की बदौलत कोरिया यह मुकाबला 8-5 से जीत गए।

पराजय के बाद भी विजेंदर इतिहास रचने में सफल रहे। वे भारत के ओलंपिक इतिहास में मुक्केबाजी स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले मुक्केबाज बन गए।

कोरिया के पिता ने एमिलियो कोरिया बेयोस्क सीनियर ने सन 1972 के म्यूनिख ओलंपिक में मुक्के बाजी का स्वर्ण जीता था। कोरिया ने कहा, "मैं उससे एक बार पहले भी लड़ चुका हूं, उस समय भी मैं जीता था लेकिन इस बार मुझे अपनी रणनीति बदलनी पड़ी क्योंकि वह मेरे खेल के बारे में जानता था। मैं उसे चौंकाना चाहता था।"

भारतीय टीम के कोच गुरबख्श सिंह संधू ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि हमें दुखी होना चाहिए। हां, हमने उम्मीद की थी कि वह जीतेगा और यह सचमुच नजदीकी मुकाबला था। हम यहां पांच मुक्केबाजों के साथ आए थे उनमें से तीन अंतिम आठ तक पहुंचे।"

इस मैच में अपनी रणनीति को लेकर विजेंदर ने कहा, "मेरा मानना है कि शुरुआत में हमारी रणनीति कुछ हद तक नाकाम रही। मैं काफी रक्षात्मक हो गया था। यहीं कोरिया को मौका मिला और उन्होंने आगे बढ़कर दो अंक हासिल कर लिए। यह मेरी गलती थी।"

जहां तक राउंड का सवाल है तो विजेंदर और कोरिया ने दो-दो राउंड जीते, लेकिन तीसरा राउंड कोरिया के लिए अहम साबित हुआ। कोरिया अब अपने पिता की तरह ओलंपिक स्वर्ण जीतने से मात्र एक कदम दूर हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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