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सूर्यग्रहण पर गंगा में स्नान के लिए उमड़ा जनसैलाब

By Staff
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वाराणसी, 1 अगस्त (आईएएनएस)। धर्म अध्यात्म और मोक्ष की नगरी काशी में आज पड़ने वाले सूर्यग्रहण को एक पर्व की तरह मनाया गया। इस दौरान लोगों ने स्नान, ध्यान, जप, तप और दान करके मोक्ष की कामनाएं भी की। वैसे तो आज सूतक काल शुरू होने के बाद से ही श्रद्धालुओं का गंगा में स्नान करने के लिए भीड़ लगनी शुरू हो गयी थी, लेकिन जैसे ही शाम 4 बजकर 8 मिनट पर सूर्यग्रहण लगा वैसे ही आस्था का जनसैलाब गंगा के घाटों पर उमड़ पड़ा।

श्रद्धालुओं ने सूर्यग्रहण के स्पर्श काल, मध्य काल और मोक्ष काल तीनों में गंगा स्नान करके पुण्य लाभ कमाया साथ ही पूरे ग्रहण काल तक अपने सूर्य भगवान पर आये संकट को टालने के लिए मंत्रों का जाप भी करते रहे।

पौराणिक मान्यता है कि ग्रहण काल में काशी में गंगा स्नान, ध्यान और दान करने से सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यही वजह थी कि लोग पूरे देश से यहां गंगा स्नान करने के लिए आये थे।

मध्य प्रदेश के सतना जिले से आये गंगा प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि ग्रहणे काशी, मकरे प्रयाग, रामनवमी अयोध्या और दशहरा के दिन हरिद्वार में स्नान करने का ही पौराणिक महत्व है। इसीलिए हम लोग पूरे परिवार के साथ ग्रहण स्नान करने के लिए आये हैं।

गोपी लालवानी जो गुजरात से सावन महीने में बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए आये थे लेकिन ग्रहण के समय गंगा स्नान करके अपने को धन्य समझ रहे हैं।

गौरतलब है कि ग्रहण काल में काशी में गंगा स्नान का तो महत्व है ही साथ ही जप, तप और दान का भी खास महत्व माना जाता है। इसीलिए श्रद्धालु ग्रहण लगने के पहले स्नान करके उसी कपड़े में बैठे रहे और जब छह बजकर एक मिनट पर मोक्ष हुआ तब फिर लोगों ने हरहर महादेव के नारे लगाये और गंगा में डुबकी लगाई।

लगभग दो घंटे के ग्रहण काल में शहर के सभी चौराहों पर लगे लाउड स्पीकरों से सिर्फ गायत्री मंत्रों का ही जाप होता रहा। काशी के प्रमुख मन्दिरों के कपाट पूरे ग्रहण के दौरान बन्द कर दिये गये थे क्योंकि उस दौरान मूर्तियों का स्पर्श अशुभ माना जाता है।

वाराणसी के गंगा घाट पर यदि स्नान दान करने वालों की भीड़ थी तो दान लेने वाले ब्राह्मणों की भी अच्छी खासी संख्या थी। प्रत्येक श्रद्धालु कुछ न कुछ दान जरूर कर रहा था जिसे लेने वालों में कभी-कभी झगड़े भी हो जा रहे थे। सीढ़ियों पर भिखारियों की संख्या हजार के आस पास थी जो पुलिस के लाख भगाने के बावजूद घाटों के इर्द गिर्द ही जमे रहे।

सूर्यग्रहण के अवसर पर आने वाली भीड़ को देखते प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम के दावे तो जरूर किए गए थे लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ में सब कुछ गुम हो गया था। क्योंकि लाखों श्रद्धालुओं के सामानों की जांच करना न तो पुलिस के बस की बात थी और न ही व्यावहारिक रूप से ही मुमकिन था। इसलिए पुलिस के जवान भीड़ को ही नियंत्रित करते हुए नजर आये।

सुरक्षा बन्दोबस्त का जायजा लेने निकले वाराणसी के एस. पी. सिटी डी. के. चौधरी ने इस पर मजबूरी जाहिर करते हुए बताया कि चूंकि गंगा का पानी सीढ़ियों तक आ गया है, श्रद्धालुओं को जगह कम मिल रही है इसलिए भीड़ ज्यादा दिखाई दे रही है, बाकी हमारे जवान चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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