श्रीलंका में मनमोहन का गर्मजोशी से स्वागत, राजपक्षे से मिले (राउंडअप)
कोलंबो, 1 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शुक्रवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रीलंका पहुंचे। राजधानी से 40 किलोमीटर दूर स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से कोलंबो तक की दूरी उन्होंने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से तय की।
कोलंबो, 1 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शुक्रवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच श्रीलंका पहुंचे। राजधानी से 40 किलोमीटर दूर स्थित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से कोलंबो तक की दूरी उन्होंने भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एमआई-17 हेलीकॉप्टर से तय की।
श्रीलंका में शनिवार से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन शुरू होने वाला है। सन 1987 में राजीव गांधी के बाद मनमोहन सिंह श्रीलंका आने वाले पहले कांग्रेसी प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनसे पहले अटल बिहारी वाजपेई ने सन 1998 में श्रीलंका की यात्रा की थी।
इससे पहले श्रीलंका के एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री ने बिना समय गंवाए श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के साथ द्विपक्षीय बातचीत की। इसके बाद वे कुछ राजनीतिक नेताओं से भी मिले जिनमें तमिल अल्पसंख्यक तथा कुछ भारतीय समुदाय के नेता भी शामिल थे।
गौरतलब है कि श्रीलंका में सन 1983 से चल रहे तमिल अलगाववादी आंदोलन में अब तक 70,000 से अधिक लोगों की जानें जा चुकी हैं।
सम्मेलन स्थल पर सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर कोलंबो और उसके आसपास के इलाकों में 19 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की गई है।
श्रीलंका समेत अफगानिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान और मालदीव के नेता दो दिवसीय सार्क शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। सम्मेलन का आयोजन भंडारनायकेस्मृति अंतर्राष्ट्रीय सभाकक्ष में किया गया है।
प्रधानमंत्री के श्रीलंका पहुंचने से पहले उनके साथ गए एक वरिष्ठ अधिकारी ने स्वीकार किया कि सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री पाकिस्तान के नेताओं के साथ आतंकवाद के मुद्दे पर भी बातचीत करेंगे।
सात जुलाई को काबुल में भारतीय दूतावास पर हुए आतंकी हमले जिसमें चार भारतीयों समेत 42 लोग मारे गए थे, का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें आईएसआई के शामिल होने के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने कहा कि इसका साफ मतलब है कि वे हमें अफगानिस्तान से बाहर निकालना चाहते हैं।
उन्होंने पिछले कुछ समय में जयपुर, बंगलौर और अहमदाबाद में हुए धमाकों का जिक्र करते हुए कहा कि हाल की घटनाओं से संकेत मिलता है कि आतंकवादियों की ताकत में इजाफा हुआ है।
उल्लेखनीय है कि सम्मेलन के लिए श्रीलंका रवाना होने से पहले एक वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने कहा था कि सार्क देश आपसी सहयोग से ही अपने आप को मजबूत कर सकते हैं और विभिन्न चुनौतियों का सामना कर सकते हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
*