ब्लॉग पर हो रही हैं पर्यावरण की बातें
'पर्यानाद्' के पहले पन्ने पर ही लिखा है, 'प्रकृति का सम्मान नहीं करेंगे तो अस्तित्व मिट जाएगा।' इस ब्लॉग पर पर्यावरण को लेकर सभी रिपोर्टों में इस बात पर जोर दिया गया है कि पर्यावरण संरक्षण का मामला बेहद गंभीर है और इसके प्रति सर्तक होने की आवश्यकता है।
ब्लॉग के परिचय में लिखा गया है, "पर्यावरण संरक्षण का मामला बहुत गंभीर है और यह वैश्विक समस्या का रूप ले चुका है। बस इसकी आवाज आप तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहता हूं। यदि एक भी वृक्ष धराशायी होने से बच सका, एक भी जीव अत्याचार का शिकार होने से बच सका तो समझूंगा कि मेरा छोटा सा प्रयास सार्थक है।"
पर्यावरण संरक्षण को लेकर विश्व के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे शोध कार्यो के बारे में भी यहां जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। 'प्रदूषण का घातक असर यह भी नामक एक पोस्ट में लिखा गया है कि वायु प्रदूषण न केवल फेफड़ों के लिए नुकसानदेह है बल्कि इसका असर शुक्राणुओं पर भी पड़ता है।
इस पोस्ट में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की पत्रिका में प्रकाशित कनाडा में हुए अध्ययन के बारे में चर्चा की गई है। इसमें लिखा गया है, "वायु प्रदूषण से न केवल शुक्राणुओं की संख्या घटती है बल्कि संबंधित डीएनए में होने वाले बदलाव के कारण आने वाली पीढ़ियों में भी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।"
'पर्यानाद्' ब्लॉग में तस्वीरों के माध्यम से भी पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने की कोशिश की जा रही है। 'खतरे की सूची में आया ध्रुवीय भालू' में तस्वीरों के माध्यम से बातें आगे बढ़ाई गई है। इसमें कहा गया है कि आर्कटिक महासागर में बर्फ पिघलने के कारण वहां उनका आवास खतरे में है।
इस ब्लॉग के पाठकों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए यहां सर्वेक्षणों से प्राप्त आंकड़ों का प्रयोग किया जा रहा है। यहां प्रस्तुत प्रतिक्रियाओं के अनुसार युवा वर्ग इस ब्लॉग को सबसे अधिक पढ़ रहा है।
एक पाठक ने अपनी प्रतिक्रिया में लिखा है, "इस ब्लॉग की विशेषता यह है कि यहां केवल पर्यावरण की हीं बातें होती हैं, जो आज की सबसे बड़ी जरूरत है।" शायद यही इस ब्लॉग की लोकप्रियता का कारण भी है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस