क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

बिहार और झारखंड में लगता है मजदूरों का बाजार

By Staff
Google Oneindia News

पटना, 8 मई (आईएएनएस)। खुले बाजार में आपने गाय, भैंस, बैल, बकरी आदि बिकने की बात जरूर सुनी होगी लेकिन आपको यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लगे कि बिहार और झारखंड के कई जिलों में प्रतिदिन मजदूरों का भी बाजार लगता है, जहां उनकी बोली लगाई जाती है और उन्हें काम के हिसाब से खरीदा जाता है। इन बाजारों में पुरुषों के साथ ही महिलाओं की भी बोली लगाई जाती है।

बिहार और झारखंड के कई हिस्सों में प्रत्येक दिन इन हट्ठे-कट्ठे एवं स्वस्थ मजदूरों की खरीद-बिक्री होती है। हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने तथा उनकी स्थिति में सुधार के लिए कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है परंतु इन बाजारों में मजदूरों की कमी नहीं हो रही है।

बिहार के छपरा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, खगड़िया, डिहरी सहित झारखंड की राजधानी रांची, डाल्टेनगंज, बोकारो, हजारीबाग आदि जिला मुख्यालयों में ऐसे बाजार खुलेआम लगते हैं। ये बाजार सुबह के आठ बजते-बजते मजदूरों से सज जाते हैं। इन शहरों के खास स्थानों में लगने वाले इन बाजारों में नौ बजते-बजते मजदूरों की संख्या 250 से 300 के आसपास हो जाती है।

फिर इन मजदूरों को खरीदने के लिए ग्राहकों के आने का सिलसिला शुरू होता है और शुरू होता है इन मजदूरों की खरीद-फरोख्त का दौर। इलाके और कामों के हिसाब से तय होती है इन मजदूरों की कीमत। निपुण मजदूर तो इन बाजारों में ही मिलते हैं। छत-ढलाई, सेन्ट्रिंग के कामों सहित निर्माण कायरें के लिए मिलने वाले मजदूर यहां 100-150 रुपये में बिकते हैं।

सामान्य श्रेणी के मजदूरों को यहां कम भाव में खरीदा जाता है। इनकी खरीद 90-100 रुपये में की जाती है। आश्चर्य की बात है कि इन बाजारों में महिला मजदूरों की भी उपस्थिति अच्छी- खासी होती है। हालांकि इन्हें पुरुष मजदूरों से कम दामों में खरीदा जाता है। इन महिला मजदूरों की कीमत शादी के मौसम में बढ़ जाती है।

डिहरी स्टेशन चौक पर लगे मजदूर बाजार में खड़े शंकर का कहना है कि इस बाजार में आने से काम की किल्लत नहीं रहती। यहां आने से इतना तय होता है कि काम मिल ही जाएगा। उधर, पलामू के रेड़मा चौक पर खड़ी एक महिला मजदूर जीरवा देवी का कहना है कि यहां मोल-भाव के बाद मजदूरी तय होती है। जीरवा देवी कहती हैं कि इधर-उधर काम के लिए भटकने से अच्छा है कि यहां आया जाए और आसानी से काम प्राप्त किया जाए।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

**

Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X