रक्षा विशेषज्ञ उत्तर-पूर्व में मलेरिया की रोकथाम के उपाय करेंगे
अगरतला, 6 मई (आईएएनएस)। रक्षा विशेषज्ञ एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने पूर्वोत्तर राज्यों में मलेरिया की रोकथाम के लिए कमर कस ली है।
त्रिपुरा के निरोधक औषधि विभाग के निदेशक आर. के. धीर के अनुसार, "विशेषज्ञों ने त्रिपुरा में अपना सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। बाद में वह पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी जाएंगे।"
उन्होंने बताया कि अपने अध्ययन के दौरान विशेषज्ञ रक्त नमूने एकत्र करेंगे। साथ ही डॉक्टरों और रोगियों से जानकारी प्राप्त करने के अलावा वन विशेषज्ञों और अन्य संबंधित लोगों से भी मिलेंगे। दोनों दलों के अध्ययनों और सिफारिशों से भविष्य में मलेरिया की रोकथाम में मदद मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि प्रति वर्ष पूवरेत्तर में मलेरिया से करीब 500 से अधिक लोगों की जानें जाती हैं।
मलेरिया विशेषज्ञ बिमल वैद्य के अनुसार पूर्वोत्तर में 'प्लासमोडियम फाल्सीपर्म' (पीएफ) नामक मलेरिया के कारण मृत्यु दर अधिक है। दूसरी ओर इस क्षेत्र में इस बीमारी से निपटने की सुविधाओं की भी कमी है।
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की त्रिपुरा सीमा के महानिदेशक जे. ए. खान के अनुसार जवान विदेशी घुसपैठियों से अधिक मलेरिया और सांप के काटने का शिकार होते हैं।
आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष बीएसफ के आठ जवान मलेरिया के शिकार हुए थे। इस वर्ष अब तक नौ जवानों को इस बीमारी के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी।
त्रिपुरा के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बीमारी से 2005 में 20 व्यक्ति मारे गए थे। सन् 2006 में यह संख्या बढ़ कर 41 तक जा पहुंची थी। इस वर्ष राज्य में अब तक मलेरिया से 22 व्यक्तियों की मृत्यु हो चुकी है।
मलेरिया से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने त्रिपुरा में जन साधारण को मलेरिया से बचाने के लिए 1 लाख 15 हजार मच्छरदानियां उपलब्ध कराई हैं। साथ ही अगरतला में मलेरिया के मच्छर से निपटने के लिए धुआं छोड़ने वाली छह मशीनें भी भेजी हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।