म्यांमार चक्रवात में मरने वालों की संख्या 22 हजार से अधिक (लीड)
यंगून, 6 मई (आईएएनएस)। म्यामांर में चक्रवात 'नरगिस' से मरने वालों की संख्या मंगलवार को 22,464 तक जा पहुंची। सरकारी मीडिया के अनुसार लापता लोगों की संख्या 41,054 है। इसके साथ ही 6,708 लोग घायल हैं।
चक्रवात के कारण हुई तबाही को देखते हुए देश की सैन्य सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है।
म्यांमार के सूचना मंत्री क्याव हसन ने राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जानकारी दी कि इरावदी क्षेत्र में 10 हजार से अधिक लोग मारे गए हैं। मंत्री ने सरकार की ओर से अंतर्राष्ट्रीय मदद की अपील की।
उन्होंने कहा, "हमें स्थानीय और बाहरी सूत्रों से मदद चाहिए।"
उधर अनेक देशों ने म्यांमार को मदद देने का ऐलान किया है। यूरोपीय संघ ने 30 लाख डॉलर, जर्मनी ने 7 लाख 50 हजार डॉलर, संयुक्त राज्य अमेरिका 2 लाख 50 हजार डॉलर की मदद देगा। भारत राहत सामग्री से भरे दो समुद्री जहाज वहां भेज रहा है।
इसके अतिरिक्त थाईलैंड ने 3 लाख डॉलर मूल्य की अनाज और स्वास्थ्य सामग्री वहां भेजी है। चीन की ओर से भी मदद शीघ्र पहुंचने की उम्मीद है।
दूसरी ओर बैंकॉक में मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र की अनेक एजेंसियों ने राहत कार्यो को तेज करने के लिए एक बैठक की। यंगून स्थित संयुक्त राष्ट्र सूचना केंद्र (यूएनआईसी) के प्रवक्ता ऐय विन ने कहा, "इस समय काफी कठिनाइयां हैं। सबसे पहले नुकसान का एक अंदाजा मिलना चाहिए जिसके आधार पर तैयारी की जा सके।"
उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) ने इरावदी डेल्टा में नुकसान का आकलन करने के लिए पिछली रात चार दल भेजे हैं। लेकिन संचार व्यवस्था पूरी तरह नष्ट हो जाने के कारण इसमें काफी मुश्किलें आ रही हैं।
उल्लेखनीय है कि म्यांमार को गत दो दशकों से पश्चिमी देशों, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक की ओर से अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय सहायता बंद है। यह भी अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि म्यांमार अंतर्राष्ट्रीय सहायता पर कुछ पाबंदी लगाएगा या नहीं।
देश में पहले से ही बुनियादी विकास की खस्ता हालत है। इस माह कराए जाने वाले जनमत के समय नरगिस चक्रवात के कारण हालात और नाजुक हो गए हैं।
राजनीतिक सर्वेक्षकों का कहना है कि सरकार को जनमत के प्रयास छोड़कर राहत कार्यो पर ध्यान देना चाहिए। दूसरी ओर सरकार ने कहा है कि तूफान से आहत इरावदी और यंगून क्षेत्रों में 24 मई तक जनमत रोक सकती है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।