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महिला आरक्षण पर राजनीतिक दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया (लीड)

By Staff
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नई दिल्ली, 6 मई (आईएएनएस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के घोर विरोध के बावजूद संसद व विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था देने वाला बहुप्रतीक्षित महिला आरक्षण विधेयक आज संसद में पेश कर दिया गया।

इस विधेयक के पेश किए जाने पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ दलों ने इसका स्वागत किया तो कुछ ने इसके विरोध में अपनी आवाज मुखर की।

सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का नेतृत्व कर रही कांग्रेस, प्रमुख विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और संप्रग सरकार को बाहर से समर्थन दे रही वामपंथी दलों ने महिला विधेयक का स्वागत किया है।

सपा ने इस विधेयक का प्रखर विरोध किया। उसके सांसदों ने तो राज्य सभा में आज उस वक्त अजीबोगरीब स्थिति पैदा कर दी जब केंद्रीय कानून मंत्री हंसराज भारद्वाज इसे सदन में पेश कर रहे थे।

भारद्वाज जब इस विधेयक को राज्य सभा में पेश कर रहे थे तो उस वक्त सपा सांसद अबु आजमी उनके करीब पहुंच गए और विधेयक पेश करने से रोकने का प्रयास किया।

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने तो विधेयक को सदन में पेश किये जाने की अनुमति दे दी लेकिन उसे पूरा विश्वास है कि यह विधेयक संसद से पारित नहीं हो सकेगा।

राजग के प्रमुख नेता देवेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा, "सरकार ने जिस तौर तरीके से आज यह विधेयक प्रस्तुत किया उससे साफ लगता है कि यह विधेयक ठंडे बस्ते में ही पड़ा रहेगा।"

कांग्रेस प्रवक्ता जयंती नटराजन ने कहा कि विधेयक को सदन में पेश करके महिलाओं को आरक्षण का लाभ देने की दिशा में पहला कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा कि सपा सांसदों के अमर्यादित आचरण के बावजूद यह विधेयक सदन में पेश कर ही दिया गया।

भाजपा ने विधेयक पेश किये जाने का स्वागत किया है। भाजपा संसदीय दल की प्रवक्ता सुषमा स्वराज ने कहा, "सरकार ने राज्य सभा में इस विधेयक को पेश कर बहुत अच्छा काम किया है। कम से कम अब यह विधेयक खत्म तो नहीं होगा।"

वामदलों ने महिला आरक्षण विधेयक को पेश किये जाने के लिए संप्रग सरकार को बधाई दी है। पार्टी ने उम्मीद जताई है कि सरकार को अब यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विधेयक जल्द से जल्द से संसद से पारित हो।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में भाजपा की सहयोगी जनता दल-युनाइटेड ने भी विधेयक का विरोध किया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने पिछड़े, अल्पसंख्यक व दलित महिलाओं के लिए भी इसमें विशेष व्यवस्था किए जाने की मांग की है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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