मधुबनी का 'जुरशीतल' बना वर्चस्व का खेल
पटना, 17 अप्रैल (आईएएनएस)। बिहार के मिथिलांचल का मधुबनी जिला यूं तो लोकप्रिय है अपनी खुबसूरत पेंटिंग के लिए परन्तु प्रत्येक 14 अप्रैल को यह क्षेत्र बदसूरत हो जाता है। इस दिन मधुबनी का एक खास क्षेत्र रणभूमि में बदल जाता है जब 14 अप्रैल को यहां के लोग खेलते हैं 'जुरशीतल' का भयानक खेल। यह खेल होता है पुलिस और पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में।
इस बार भी 14 अप्रैल को ऐसा ही हुआ। मधुबनी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर जीतवारपुर, लहेरियागंज, बेलाही एवं बेनवार गांव के लोगों ने सड़क के किनारे खड़े होकर एक-दूसरे पर खूब पत्थरबाजी की। इस कार्य में गांव के हर उम्र के और हर तबके के लोग शामिल हुए। इस खेल में प्रत्येक वर्ष कई लोग घायल होते हैं। इस बार भी कई लोग पत्थर का शिकार हो अपना सिर फुड़वा बैठे। इस खेल से जुड़े रजनीश का मानना है कि इस खेल की परंपरा काफी पुरानी है।
इसकी शुरूआत शिकार खेलने से शुरू हुई थी परन्तु धीरे-धीरे कलांतर में इसका रूप बदलता चला गया। अब यह खेल गांवों के वर्चस्व की लड़ाई बन कर रह गया है। मजे की बात यह है कि इस खेल के दौरान प्रत्येक गांव के लोग अपने गांव को ताकतवर साबित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ते। मूलत: यह खेल फसल से ताल्लुक रखता है। इस संबंध में 70 वर्षीय सुधेश्वर झा बताते हैं कि जुरशीतल के दिन काटी गई नई फसल के अनाज से ही खाना बनता है। बने हुए खाने को रात भर पानी में रखा जाता है। मान्यता है कि इस भोजन को खाने से लोगों का दिमाग ठंडा रहता है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।