इंटर पास लड़का चला रहा है रेडियो स्टेशन
वाराणसी, 13 अप्रैल (आईएएनएस)। कहते हैं कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती है। तभी तो गाजीपुर जिले के रेवतीपुर गांव का एक युवक अरुण कुमार राय अपने सीमित संसाधनों में एक रेडियो स्टेशन चला रहा है, जो तीन किमी. के दायरे में न सिर्फ़ लोंगो का मनोरंजन कर रहा है बल्कि इससे गांव के लोंगो को कृषि की जानकारी भी दे रहा है।
सुबह के दस बजने वाले हैं, रेवतीपुर रेडियो स्टेशन में आप का स्वागत है अब आप अरुण राय से ताजा समाचार सुनिए ..अरुण राय की सुबह इन्ही शब्दों से होती है जिसका गांव वाले बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं।
गांव के ही गोपाल राय कहते हैं की इस गांव में संचार के सभी संसाधन मौजूद हैं लेकिन अपने गांव के अरुण की आवाज़ को अपने रेडियो पर सुनने में बड़ा गर्व होता है। राम लाल महतो तो कहते हैं कि जब अपने गांव के लड़के से कृषि सम्बन्धी सारी जानकारी मिल जाती है तो हम दूसरे के सहारे क्यों रहें।
गाजीपुर जिले के रेवतीपुर गांव की इस प्रतिभा को इस अंजाम तक पहुंचने में कुल चार साल लगे। इंटर साइंस से पास होने के बाद अब अरुण ख़ुद के बनाये हुए रेडियो स्टेशन पर जाता है। इसमें लोकल समाचार से लेकर गाने तक वह गांव -गांव पहुंचा रहा है। दो भाई और एक बहनों में सबसे छोटा अरुण बचपन से ही रेडियो का शौकीन था, इसिलए एक सीडी प्लेयर कुछ कनडेनसर, पावर चार्जर, एक बैटरी और एक एंटीना से उसने अपना ख़ुद का रेडियो स्टेशन तैयार कर लिया है जिसे शार्ट वेव के 41 मीटर बैंड पर तीन किलोमीटर के दायरे में बड़े मजे से प्रसारित कर रहा है।
अरुण अपने रेडियो स्टेशन पर ख़ुद जॉकी है। सुबह 10 बजे से 4 बजे तक समाचार की दो बुलेटिन और शेष समय में वह सीडी प्लेयर के माध्यम से गांव के लोगों का मनोरंजन करता है।
अरुण बताता है कि सुबह का अखबार देख करके ख़ुद ही समाचार तैयार करता हूं और कृषि संबंधी जानकारी के लिए उसके एक्सपर्ट को बुलाता हूं।
गांव के शिव चरण बहादुर कहते हैं कि इसकी उपयोगिता मंडी के बाजार भाव के लिए सबसे ज्यादा है। अरुण राय के रेडियो की आवाज़ तिलवा, पोखरी रेवतीपुर और अतरौली तक जाती है। आगे उसकी यही इच्छा है कि यदि सुविधा मिले तो वह अपनी इस प्रतिभा का उपयोग देश के विकास के लिए करना चाहता है।
अरुण की इस प्रतिभा से गांव के जवान और बुजुर्गो को जहां मनोरंजन मिल गया है, वहीं स्थानीय समाचार भी मिलने लगा है। अब क्षेत्र के लोग अपने इस सपूत पर फुले नहीं समा रहे हैं, भले ही अरुण राय का यह काम देखने में छोटा लग रहा हो, लेकिन रेडियो स्टेशन चलाने जैसी बड़ी सोच एक छोटे से गांव में सोच लेना अपने आप में बड़ी बात है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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