छत्तीसगढ कीांकी में होगे लोकवादययंत्र बजाते कलाकार
नयी दिल्ली .22 जनवरी . वार्ता . गणतंत्र दिवस पर इस वर्ष यहां निकलने वालीांकियों में छत्तीसगढ के पारम्परिक लोक वादय यंत्रों को प्रदशित करती राज्य कीांकी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनेगी 1 इसांकी में छत्तीसगढ के प्रत्येक क्षेत्र के दूरस्थ ग्रामीणअंचलों में ग्रामीण अपने सांस्कृतिक उत्सवों के दौरान उपयोग किये जाने वाले दुर्भभ वादय यंत्रों को आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करेंगे
राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में आज यहां प्रेस रिव्यू के दौरान छत्तीसगढ के लोक नर्तकों ने लोक संगीत और नृत्य की अद्भुद प्रस्तुति दी
छत्तीसगढ राजय कीांकी गत चार वषो से लगातार राजपथ पर राज्य की अनूठी संस्कृति प्रदशित करने का गौरव हासिल कर रही है 1 उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में छत्तीसगढ की परम्परिक आभूषणों पर निकलीांकी को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था
छत्तीसगढ के लोक वादय यंत्रों की इसांकी में बस्तर की मुरिया आदिवासी महिलाओं द्वारा बजाये जाने वाले वादय यंत्र धनकुल . बिलासपुर के देवार आदिवासियों के पारम्परिक वादय यंत्र ढुगंरु . सरगुजा जिले क उरांव गोड आदिवासियों के द्वारा बांस और रस्सी के सहारे बजाया जाने वाला ढोंक . यादव जाति के द्वारा बजाया जाने वाला बांस बाजा . छत्तीसगढ के गांवों में स्वर वादय के रुप में बजाया जाने वाला चिकारा . गोंड आदिवासियों का रोंजो . पारदी समुदाय का डाहक. मांगलिक अवसरों पर बजाया जाने वाला टिमकी . बैंगा आदिवासियों द्वारा कर्मा नृत्य के समय उपयोग किया जाने वाला चटकोला . दो बांसों को विपरीत दिशा में जोड कर बनाया गया यंत्र अलगोजा . गुदुम . माडिया ढोल और अन्य वादय यंत्रों को प्रदशित किया गया है
केसरी .संजीव प्रेम .1815वार्ता