Covaxin:2 से 18 की एज ग्रुप में अलग से ट्रायल क्यों जरूरी है? इसकी जरूरत समझिए
नई दिल्ली, 14 मई: देश में भारत बायोटेक की कोविड वैक्सीन कोवैक्सिन को बच्चों में परीक्षण की इजाजत मिल गई है, जो कि इस अदृश्य वायरस से बचाव के लिए बहुत ही बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस तरह भारत में यह पहली कंपनी है, जिसे इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। गौरतलब है कि अमेरिकी कंपनी फाइजर की वैक्सीन को अमेरिका में 12 से 15 वर्ष के बच्चों को लगाने की अनुमति मिल चुकी है। दुनिया में कुछ और कंपनियां हैं, जो बच्चों में इस तरह की ट्रायल में लगी हैं। ऐसे में भारत में देसी वैक्सीन को इसकी इजाजत मिलना बहुत बड़ी बात मानी जा रही है।
कोवैक्सिन
सुरक्षा
कवच
क्या
है
?
भारत
में
अबतक
कोरोना
वायरस
के
कहर
को
रोकने
के
लिए
दो
ही
वैक्सीन
दी
जा
रही
है।
इसमें
एक
देसी
कंपनी
भारत
बायोटेक
की
कोवैक्सिन
है
और
दूसरी
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका
की
वैक्सीन
है,
जिसे
सीरम
इंस्टीट्यूट
ऑफ
इंडिया
कोविशील्ड
के
नाम
से
बना
रही
है।
हैदराबाद
स्थित
कोवैक्सिन
की
निर्माता
कंपनी
भारत
बायोटेक
ने
इसका
निर्माण
भारत
सरकार
के
इंडियन
काउंसिल
ऑफ
मेडिकल
रिसर्च
(आईसीएमआर)
के
साथ
मिलकर
किया
है।
यह
एक
'निष्क्रिय'
वैक्सीन
है
,
जिसमें
मृत
एसएआरएस-सीओवी-2
वायरस
(कोरोना
वायरस)
का
इस्तेमाल
होता
है।
इसकी
वजह
से
वैक्सीन
लेने
वाले
व्यक्ति
में
वायरस
के
खिलाफ
इम्यून
क्षमता
बढ़ाने
में
मदद
मिलती
है।
अभी
तक
भारत
में
18
साल
से
ज्यादा
के
व्यस्कों
को
ही
इस
वैक्सीन
की
डोज
लगाने
की
मंजूरी
मिली
हुई
है।
कोवैक्सिन
को
लेकर
नई
डेवलपमेंट
क्या
है?
देश
की
सबसे
बड़ी
दवा
नियामक
संस्था
ड्रग
कंट्रोलर
जनरल
ऑफ
इंडिया
(डीजीसीआई)
ने
भारत
बायोटेक
को
2
साल
के
बच्चों
से
लेकर
18
साल
तक
के
लोगों
में
कोवैक्सिन
की
फेज
2/3
की
क्लिनिकल
ट्रायल
की
इजाजत
दी
है।
यह
मंजूरी
इस
विषय
पर
बनी
एक्सपर्ट
कमिटी
की
सलाह
पर
दी
गई
है।
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कोवैक्सिन
की
इस
ट्रायल
से
क्या
होगा
?
यह
ट्रायल
पूरे
देश
में
525
स्वस्थ
वॉलेंटियर
पर
अलग-अलग
जगहों
पर
की
जाएगी।
जिन
स्थानों
पर
यह
ट्रायल
होगी
उसमें
दिल्ली
और
पटना
के
एम्स
के
साथ
ही
नागपुर
स्थित
मेडिट्रिना
इंस्टीट्यूट
ऑफ
मेडिकल
साइंस
के
भी
शामिल
होने
की
संभावना
है।
इस
ट्रायल
में
दिए
गए
एज
ग्रुप
में
इस
वैक्सीन
का
प्रभाव
और
सुरक्षा
जैसे
विषय
शामिल
रहने
की
उम्मीद
है।
इसके
अलावा
इस
वैक्सीन
के
एडवर्स
रियेक्शन
(विपरीत
प्रतिक्रिया)
की
भी
जांच
होगी,
साथ
ही
टारगेट
एज
ग्रुप
पर
इसकी
इम्यून
रेस्पॉन्स
बढ़ाने
की
क्षमता
की
भी
स्टडी
की
जाएगी।
इस
वैक्सीन
की
दो
डोज
इंट्रामस्क्युलर
के
जरिए
28
दिनों
के
अंतराल
पर
दी
जाएगी।