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Navagraha Puja: क्या आप जानते हैं, पानी से भी होती है नवग्रहों की शांति

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। यह समस्त सृष्टि और इसमें रहने वाले मनुष्य पंच तत्वों जल, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और वायु से मिलकर बने हैं। इसलिए इन पंच तत्वों का असर नवग्रहों पर भी पड़ता है। लेकिन क्या आप जानते हैं नवग्रहों को शांत करने के लिए इन्हीं पंच तत्वों में से एक प्रमुख तत्व जल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जी हां, यदि किसी मनुष्य को नवग्रहों में से कोई एक भी ग्रह पीड़ा दे रहा है तो उससे संबंधित परेशानियां मनुष्य के जीवन में आने लगती है। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति के जीवन में मान, सम्मान, यश, कीर्ति की कमी है। या उसे नेत्र और त्वचा संबंधी कोई रोग हो रहे हैं। या उसे पिता का सहयोग नहीं मिल रहा है, तो इन सब परेशानियों का कारण उसकी जन्म कुंडली में सूर्य का खराब होना हो सकता है। सूर्य को शांत करने के लिए उससे संबंधित धातु के बर्तन में रखा पानी पीने से सूर्य शांत होगा और उससे जुड़ी परेशानियां भी समाप्त होंगी।

आइये जानते हैं कौन से ग्रह से संबंधित पीड़ा में कौन सी धातु में रखा पानी पीना चाहिए...

तांबे के बर्तन में रखा पानी

तांबे के बर्तन में रखा पानी

यदि आपके जीवन में सूर्य या मंगल से जुड़ी परेशानियां आ रही हैं, तो संभव है आपकी कुंडली में इन दोनों में से कोई ग्रह खराब हो। ऐसी स्थिति में आपको तांबे के किसी बर्तन में पानी भरकर रखना चाहिए और हमेशा उसी का सेवन करना चाहिए। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से मंगल और सूर्य ग्रह अनुकूल होते हैं और उनसे संबंधित शुभ प्रभाव मिलने लगते हैं। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से त्वचा में चमक आती है, बाल अच्छे रहते हैं और पेट संबंधी रोगों से मुक्ति मिलती है।

चांदी के बर्तन में रखा पानी

चांदी के बर्तन में रखा पानी

चांदी को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना गया है, यह बात वैज्ञानिक भी साबित कर चुके हैं। यदि आपके जीवन में चंद्र और शुक्र ग्रह से संबंधित परेशानी आ रही है तो ऐसी स्थिति में चांदी के बर्तन में रखा पानी पीना चाहिए। आपकी कुंडली में चंद्र खराब है तो मन और मस्तिष्क संबंधी रोग आते हैं। मानसिक अस्थिरता बनी रहती है। मन विचलित रहता है। किसी काम में मन नहीं लगता है। और शुक्र खराब है तो जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं का अभाव रहता है। ऐसे में चांदी के बर्तन में रखा पानी प्रतिदिन पीने से इन सब परेशानियों से निजात मिलती है। कई तरह के रोग भी खत्म होते हैं।

 सोने के बर्तन में रखा पानी

सोने के बर्तन में रखा पानी

हमारे चार वेदों में से एक अथर्ववेद के साथ ही आयुर्वेद में भी स्वर्ण का बड़ा महत्व बताया गया है। कई रोगों के उपचार में स्वर्ण भस्म का सेवन करने की बात आई है। जन्म कुंडली में यदि बृहस्पति खराब है तो व्यक्ति के जीवन में सुखों का अभाव रहता है। उसे न तो व्यापार में तरक्की मिलती है और न ही नौकरी में वह सफलता पाता है। वैवाहिक जीवन में भी कटुता बनी रहती है। सम्मान, पद प्राप्त नहीं होता। बुध खराब हो तो व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता प्रभावित होती है। यदि सोने के बर्तन में रखा पानी प्रतिदिन पीया जाए तो बुध और बृहस्पति ग्रह शांत होते हैं और उनकी शुभता का प्रभाव मनुष्य के जीवन में दिखाई देने लगता है।

 कांसे के बर्तन में रखा पानी

कांसे के बर्तन में रखा पानी

कांसे के बर्तन में रखा पानी पीने से शनि, राहु और केतु ग्रहों की पीड़ा से मुक्ति मिलती है। लेकिन ध्यान रहे, कांसे के बर्तन में ज्यादा देर तक पानी भरकर नहीं रखना चाहिए। जिस समय पानी पीना हो उसी समय कांसे के गिलास में पानी लेकर पीएं।

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English summary
Navagraha means nine planets in Sanskrit and are nine astronomical bodies as well as mythical deities in Hinduism and Hindu astrology. here is Grah Shanti Puja Vidihi.
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