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आप बिना हॉट सीट के ही बन जाएंगे करोड़पति अगर कुंडली में होगा ये योग...

By पं. अनुज के शुक्ल
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लखनऊ। धन की जरूरत सबको होती है चाहे राजा हो या रंक। आप धन अर्जित करने के लिए कर्म भी करते है और साथ में विभिन्न प्रकार के उपाय भी करते है लेकिन क्या आपने कभी यह सोंचा कि आपकी कुण्डली में धन के योग है या नहीं। आपको बता दें कि जन्मपत्री में दूसरा भाव धन का कारक होता है। इसके अतिरिक्त पंचम, नवम, चतुर्थ, दशम भाव व एकादश भाव भी लक्ष्मी प्राप्ति के योगों का निर्माण करते है। प्रथम, पंचम, नवम, चतुर्थ, दशम और सप्तम भाव की भूमिका भी धन प्राप्ति में महत्वपूर्ण होती है। दूसरा भाव यानि धन के कारक भाव की भूमिका विशेष होती है। वैसे तो विभिन्न प्रकार के योग जैसे राजयोग, गजकेसरी योग, महापुरूष, चक्रवर्ती योग आदि में मां लक्ष्मी की विशेष कृपा या विपुल धन प्राप्त होने के संकेत देते ही है। लेकिन आधुनिक युग में उच्च पदों पर आसीन होने से ये योग लक्ष्मी प्राप्ति या महाधनी योग किस प्रकार घटित होते है ?ज्योतिष के अनुसार यदि निम्न प्रकार के सम्बन्ध धनेश, नवमेश,लग्नेश, पंचमेश और दशमेश आदि के मध्य बनें तो जातक महाधनी कहा जा सकता है।

लग्न और लग्नेश द्वारा धन योग

लग्न और लग्नेश द्वारा धन योग

यदि लग्नेश धन भाव में और धनेश लग्न भाव में स्थित हो तो यह योग विपुल धन योग का निर्माण करता है। इसी प्रकार से लग्नेश की लाभ भाव में स्थिति या लाभेश का धन भाव, लग्न या लग्नेश से किसी भी प्रकार का सबंध जातक को अधिक मात्रा में धन दिलाता है। लेकिन शर्त यह है कि इन भावों यो भावेशों पर नीच या शत्रु ग्रहों की दृष्टि न पड़ती हो। ऐसा होने से योग खण्डित हो सकता है।

धन भाव या धनेश द्वारा धन योग

यदि धनेश लाभ स्थान में हो और लाभेश धन भाव में यानि लाभेश धनेश का स्थान परिवर्तन यो हो तो जातक महाधनी होता है। यदि धनेश या लाभेश केन्द्र में या त्रिकोण में मित्र भावस्थ हो तथा उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो जातक धनवान होगा। यदि दोनों ही केन्द्र स्थान या त्रिकोण में युति कर लें तो यह अति शक्तिशाली महाधनी योग हो जाता है। इस योग जातक धनेश या लाभेश की महादशा, अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर्दशा में में धन कमाता है।

 तृतीय भाव या भावेश द्वारा धन योगः

तृतीय भाव या भावेश द्वारा धन योगः

यदि तीसरे भाव का स्वामी लाभ घर में हो या लाभेश और धनेश में स्थान परिवर्तन हो तो जातक अपने पराक्रम से धन कमाता है। यह योग क्रूर ग्रहों के मध्य हो तो अधिक शक्तिशाली माना जायेगा। इस योग में सौम्य ग्रह कम फलदायी होते है।

चतुर्थ भाव या भावेश द्वारा धन योग

यदि चतुर्थेश और धनेश का स्थान परिवर्तन योग हो या धनेश और सुखेश धन या सुख भाव में परस्पर युति बना रहें हो तो जातक बड़े-2 वाहनों और प्रापर्टी का मालिक होता है। ऐसा जातक अपनी माता से विरासत में बहुत धन की प्राप्ति करता है।

पंचम भाव या पंचमेश द्वारा धन प्राप्तिः

पंचम भाव या पंचमेश द्वारा धन प्राप्तिः

पंचम भाव का स्वामी यदि धन, नवम अथवा लाभ भाव में हो तो भी जातक धन होता है। यदि पंचमेश, धनेश और नवमेश लाभ भाव में अथवा पंचमेश धनेश और लाभेश नवम भाव में अथवा पंचमेश, धनेश और नवम भाव में युत हो तो जातक महाधनी होता है। यदि पंचमेश, धनेश, नवमेश और लाभेश चारों की युति हो तो सशक्त महाधनी योग होता है। किन्तु यह योग बहुत कम निर्मित होता है।

षष्ठ भाव और षष्ठेश द्वारा धन योग

षष्ठेश के लाभ या धन भाव में होने से शत्रु दमन द्वारा धन की प्राप्ति होती है। ऐसे योग में धनेश का षष्ठमस्थ होना शुभ नहीं होता है। यह योग कम ही घटित होता है।

सप्तम और सप्तमेश द्वारा धन की प्राप्ति

यदि सप्तमेश धन भावस्थ हो या धनेश सप्तमस्थ हो अथवा सप्तमेश नवमस्थ या लाभ भावस्थ हो तो जातक ससुराल पक्ष से धन प्राप्त करता है। ऐसे जातको का विवाह के बाद भाग्योदय होता है। ऐसे जातक किसी धनकुबेर के दामाद बनते है।

नवम भाव और नवमेश द्वारा धन योग

नवम भाव और नवमेश द्वारा धन योग

नवमेश यदि धन या लाभ भाव में हो या धनेश नवमस्थ हो अथवा नवमेश और धनेश युक्त होकर द्वितीयस्थ, लाभस्थ, चतुर्थस्थ या नवमस्थ हो तो जातक महाभाग्यशाली होते है। किसी भी कार्य में हाथ डालकर अपार धन प्राप्त कर सकता है। यह युति यदि भाग्य में ही बने तो और अधिक बलवान हो जायेगा।

दशम और दशमेश द्वारा धन योग

धनेश और दशमेश का परिवर्तन, युति आदि होने से पर जातक पिता या राजा द्वारा या अपने कार्य विशेष द्वारा धन प्राप्त करता है। ऐसा जातक धनवान राजनेता होता है।

लाभ और लाभेश द्वारा धन योग

लाभेश का धन भावस्थ, पंचमस्थ या नवमस्थ होना या इन भावों के स्वामियों की केन्द्रों या त्रिकोण स्थानों में युति से जातक महाधनी होता है।

नोट

नोट

इन सभी योगों में एक बात विशेष ध्यान देने योग्य है कि ग्रहों की युति, स्थान परिवर्तन आदि स्थितियों में शुभ दृष्टि या मित्र दृष्टि हो तो योग के फलित होने की सम्भावना प्रबल हो जाती है। इन भावों या भावेशों का बलवान होना भी आवश्यक होता है। कई बार अनेक कुण्डलियों में उपर बतायें गये योग होने के बावजूद भी जातक का जीवन सामान्य होता है। ऐसा तभी होगा जब भाव या भावेश कमजोर होंगे, ग्रह मृतावस्था में होंगे या फिर पाप ग्रहों की दृष्टि से योग खण्डित होंगे।

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English summary
For few people money comes the easy way, some earn through lotteries, and some through programmes ! Here we discuss few astrological rules for money making through efforts and also through luck or game shows.
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