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Sweet Corn Farming : बारिश के मौसम में शानदार मुनाफा देती है ये फसल, जानिए खेती का तरीका

भारत में मक्के की खेती बड़े पैमाने पर होती है। मक्के की मीठी वेराइटी स्वीट कॉर्न (sweet corn) की खेती कर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। स्वीट कॉर्न फार्मिंग के बारे में जानिए

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नई दिल्ली, 07 जून : मॉनसून सीजन में फसलों की बुआई के दौरान मक्का के किसान बड़े पैमाने पर खेतों में मक्का, जवार और बाजरे जैसी खरीफ फसलों की बुआई करते हैं। मक्के की खेती के साथ स्वीट कॉर्न (sweet corn) की खेती किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। स्वीट कॉर्न सामान्य मक्के की ही मीठी वेराइटी है। यूं तो देशभर में स्वीट कॉर्न की खेती होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश के किसान बड़े पैमाने पर स्वीट कॉर्न की खेती करते हैं। पढ़िए स्वीट कॉर्न फार्मिंग में कैसे अवसर हैं।

sweet corn

खरीफ सीजन में मिलेट्स यानी मोटे अनाजों की बुआईखरीफ सीजन में मिलेट्स यानी मोटे अनाजों की बुआई

विदेश में भी स्वीट कॉर्न की डिमांड

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारत के अलावा विदेश में भी स्वीट कॉर्न की काफी डिमांड है। ऐसे में मक्का किसान स्वीट कॉर्न उपजा कर दोगुने पैसे कमा सकते हैं। स्वीट कॉर्न की खेती मक्के के पैटर्न पर ही होती है। बस पकने के पहले दूधिया मक्कों को तोड़ लिया जाता है। बस कुछ जरूरी बातों का ध्यान रख किसान स्वीट कॉर्न से अच्छे पैसे कमा सकते हैं। कुछ रोचक बिंदुओं पर एक नजर-

  • रबी और खरीफ दोनों सीजन में स्वीट कॉर्न फार्मिंग संभव।
  • उत्तर भारत में स्वीट कॉर्न की बुआई खरीफ सीजन यानी जून से जुलाई के बीच।
  • स्वीट कॉर्न के साथ फूलों की खेती कर सकते हैं किसान।
  • स्वीट कॉर्न को ज्यादा दिनों तक स्टोर करने पर मिठास कम होती है।

कम समय में पकने वाली वेराइटी चुनें

ICAR ने मक्के की कई कीटरोधी किस्में विकसित की हैं। ऐसे में स्वीट कॉर्न की खेती करने के इच्छुक किसान मक्के की उन्नत किस्मों चुनाव करें। कम समय में पकने वाली वेराइटी का चुनाव बेहतर होता है। मक्के की बुआई के लिए खेत तैयार करते समय पानी निकलने के इंतजाम पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इससे मक्के की फसल वाले खेत में पानी भरने की आशंका नहीं रहेगी।

स्वीट कॉर्न की खेती साथ फूलों की रोपाई

बता दें कि परंपरागत खेती के अलावा कुछ इनोवेटिव खेती और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर किसान अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। फ्लोरीकल्चर यानी फूलों की खेती भी ऐसा ही विकल्प है। कृषि मामलों के जानकारों की मानें तो दोगुनी आमदनी के लिए किसान स्वीट कॉर्न की खेती साथ फूलों की रोपाई भी कर सकते हैं। फूलों की किस्मों में गेंदा और ग्लैडियोलस की रोपाई की जा सकती है।

फसल से निकलने वाला चारा मवेशियों के काम

खेती किसानी की समझ रखने वाले लोग बताते हैं कि स्वीट कॉर्न के अलावा एक ही खेत में गोभी, धनिया मटर और पालक जैसे फसलों की रोपाई भी की जा सकती है। स्वीट कार्न की फसल से निकलने वाला चारा मवेशियों के काम आता है। ऐसे में स्वीट कॉर्न फार्मिंग से लाभ दोगुना हो जाता है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक भारत में हर साल 20 मिलियन टन से अधिक मक्के का उत्पादन होता है।

makka production

स्वीट कॉर्न की कटाई

किसी भी फसल में कटाई का समय पता होना सबसे अहम है। स्वीट कॉर्न की कटाई कब करें ? इसकी पहचान है भुट्टों से दूधिया पदार्थ निकलना। भुट्टों से सफेद दूधिया तरल निकलने पर समझना चाहिए कि स्वीट कॉर्न कटाई के लिए तैयार है। विशेषज्ञों के मुताबिक स्वीट कॉर्न की कटाई सुबह या शाम में ही करनी चाहिए। ऐसा करने पर फसल की शेल्फ लाइफ लंबी होती है यानी लंबे समय तक स्वीट कॉर्न ताजा रहेगा।

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English summary
know about seet corn farming in india.
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