किसान की कामयाबी : 'फलों के राजा' को मिली छत, 4 फीट के पेड़ पर उगाईं आम की 50 किस्में
केरल के कोच्चि में आम की 50 किस्मों का उत्पादन (kochi 50 varieties mango tree) किया जा रहा है। बागवानी के शौकीन जोसेफ फ्रांसिस आम की 50 वेराइटी घर की छत पर उगा रहे हैं। पढ़िए रोचक कहानी
कोच्चि,
19
जून
:
क्या
किसी
छत
पर
आम
का
बगीचा
लगाया
जा
सकता
है
?
अगर
आपका
जवाब
ना
है,
तो
एक
बार
फिर
सोचिए।
छत
पर
आम
का
बाग
लगाने
को
हकीकत
बनाया
जा
चुका
है।
केरल
में
जोसेफ
फ्रांसिस
पुथमपरम्बिल
(Joseph
Francis
Puthamparambil)
नाम
के
व्यक्ति
ने
अपनी
छत
पर
50
से
अधिक
आम
के
पेड़
(kochi
50
varieties
mango
tree)
लगाए
हैं।
आम
की
अलग-अलग
किस्मों
को
उगाने
वाले
जोसेफ
बताते
हैं
कि
अधिकांश
आम
के
पेड़
चार
फीट
ऊंचे
हैं।
अलग-अलग
पेड़ों
को
मिलाकर
आम
की
50
किस्में
छत
पर
पैदा
होती
हैं।
पढ़िए
अनोखी
रूफ
टॉप
गार्डनिंग
की
कहानी।
(सभी
फोटो
वीडियो
ग्रैब;
साभार-
YouTube
@Joseph
Mango)
'फलों के राजा' से आच्छादित छत !
केरल के कोच्चि में रहने वाले जोसेफ फ्रांसिस पुथमपरम्बिल ने अपनी छत पर आम का बागान लगाया है। आम के पेड़ों के घिरे रहने वाले जोसेफ बताते हैं कि उनके आम के सभी पेड़ केवल चार फीट लंबे होते हैं। जोसेफ एक ही पेड़ पर तरह-तरह के आम भी उगाते हैं। इसके लिए वे ग्राफ्टिंग तकनीक का उपयोग करते हैं।
22 साल पहले मिला पहला पौधा
जोसेफ कोच्चि के मुंडामवेली (Mango Farmer Mundamveli Kochi) में रहते हैं और इसी जमीन पर उन्होंने आम का पौधा उगते देखा था। 50 वेराइटी में एक पेट्रीसिया (Patricia) किस्म उगा रहे जोसेफ फ्रांसिस इसके बारे में बताते हैं कि आम की इस वेराइटी के पल्प में रेशे नहीं होते। इस आम के बारे में जोसेफ बताते हैं कि 22 साल पहले आम का एक पौधा उन्हें उसी जमीन पर मिला था, जहां बाद में उन्होंने अपना घर बनवाया।
ग्राफ्टिंग से बनाया EXCLUSIVE पेट्रीसिया आम
पेट्रीसिया के बारे में जोसेफ बताते हैं कि इसका पौधा आम के दो स्थानीय पौधों को मिलाकर तैयार किया गया। वे कहते हैं कि उन्हें जो पौधा मिला था, वह प्राकृतिक रूप से परागित हाइब्रिड किस्म का आम था। बकौल जोसेफ, उन्होंने ग्राफ्टिंग की और आम की वेराइटी को पेट्रीसिया नाम दिया। उन्होंने कहा कि पेट्रीसिया केवल उनके घर पर ही मिलता है। वे इसे बाजार में नहीं बेचते।
दूसरे लोगों को भी देते हैं आम का पौधा
जोसेफ की छत पर आम के बागान में 50 प्रकार के आम के पेड़ों के अलावा लगभग 150 दूसरे पौधे भी हैं। रूफटॉप गार्डनिंग यानी छत पर बागवानी करने के ये तरीका जोसेफ को दूसरे बागवानों या किसानों से अलग करता है। वे बताते हैं कि आम की इस वेराइटी के शौकीन लोगों को वे पेट्रीसिया किस्म के आम के पौधे बेचते हैं, लेकिन फल नहीं। जोसेफ बताते हैं, उनके यहां पैदा होने वाला पेट्रीसिया का फल सिर्फ मेहमानों, परिवार और दोस्तों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
ग्राफ्टिंग से बनी पेट्रीसिया
जोसेफ गार्डनिंग के अपने शौक के बारे में बताते हैं कि रेफ्रिजरेशन टेक्नीशियन के रूप में करियर शुरू किया, लेकिन बागवानी और खेती के प्रति बचपन से ही शौक था। उन्होंने बताया कि पारंपरिक पौधों के ज्ञान का उपयोग कर उन्होंने अपने खेत में उगने वाले पेड़ के साथ 'कल्लुकेट्टी' नामक आम की स्थानीय किस्म की ग्राफ्टिंग की। कुछ वर्षों के बाद फल मिले। कल्लुकेट्टी की ग्राफ्टिंग के बाद अद्भुत, सुगंधित, रसदार और मध्यम आकार के आमों के उत्पादन से उत्साहित जोसेफ बताते हैं कि पेट्रीसिया किस्म के आम का नामकरण अपनी पत्नी के नाम पर किया गया है। बता दें कि पेट्रीसिया एक रानी का भी नाम है।
छत पर आम की खेती, उर्वरक का प्रयोग
आम के पेड़ लगाने की बुनियादी तकनीक के बारे में जोसेफ बताते हैं कि कोको पीट (coco peat), गोबर की खाद, और लाल मिट्टी को मिलाकर मिट्टी तैयार की जाती है। इसके बाद मिक्सचर को प्लास्टिक के ड्रम में भरकर आम के पौधे उगाए जाते हैं। पेड़ों को चार फीट की हाइट तक सीमित रखने के लिए जोसफ नियमित रूप से पेड़ों की छंटाई करते हैं। उनका कहना है कि पेड़ों की ऊंचाई आप खुद चुन सकते हैं। ड्रम के नीचे नमी बनाए रखने के लिए साप्ताहिक रूप से प्लास्टिक पॉट की मिट्टी खुदाई भी करते हैं। सप्ताह में एक बार नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम के मिश्रण का छिड़काव भी किया जाता है।
एक साल में मिलने लगते हैं फल
उर्वरकों के इस्तेमाल के कारण के बारे में जोसेफ बताते हैं कि पौधे पनपने और अधिक फल उत्पादन में उर्वरकों से मदद मिलती है। आम के फल पकने के बारे में उन्होंने बताया कि अखबार में लपेटकर आम को 8-10 दिनों तक पकने के लिए छोड़ दिया जाता है। पौधों के बड़े होने पर लेयरिंग कर जोसेफ नए पौधे विकसित करते हैं। इस प्रक्रिया में वे चाकू की मदद से पेड़ों की छाल हटाते हैं और और इसमें जड़ें निकलने तक मिट्टी से ढक कर रखते हैं। जड़ें निकलने पर इन्हें काटकर अलग कर लिया जाता है। फिर इसकी रोपाई की जाती है। एक साल के अंदर इन पौधों से फल मिलने शुरू हो जाते हैं।
छत पर आम गार्डन में कई किस्में
रेशेदार फलों वाले इन पौधों की जड़ें अधिक मजबूत नहीं होतीं। ऐसे में तेज आंधी के दौरान पेड़ गिरने का खतरा बना रहता है। जोसेफ के रूफ गार्डन में जो अलग-अलग वेराइटी के आम हैं इनमें अलफांसो, इमामपासंद, मलिका, दशरी, कोलाम्बू, कोसेरी, सिंधुर और सिंधुरम कुछ लोकप्रिय किस्में हैं। दूसरे पौधे तैयार करने के लिए एक ही पेड़ को कई किस्मों से ग्राफ्ट किया जाता है। उन्होंने बताया, एक ही पेड़ पर दो से तीन से अधिक प्रकार के ग्राफ्ट न होना बेहतर होता है। ऐसा करने पर उत्पादन पर असर पड़ता है।
पौधों की कीमत 5000 रुपये तक, बच्चों की तरह देखभाल
फल नहीं बेचने के बारे में जोसेफ बताते हैं कि वह पौधे बेचते हैं। एक आम के पौधे की कीमत 1,500 रुपये से 5,000 रुपये के बीच हो सकती है। कीमत के बारे में उन्होंने कहा, पौधों की कीमत उम्र और आकार के आधार पर तय होती है। अब केवल आम पर ध्यान केंद्रित कर रहे जोसेफ फ्रांसिस बताते हैं कि इससे पहले वे ऑर्किड, गुलाब और मशरूम की बागवानी के साथ भी प्रयोग कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने मधुमक्खियों और कबूतरों को भी पाला है। बागवानी से जुड़ने के बारे में 65 वर्षीय जोसेफ कहते हैं कि वे इस बारे में काफी भावुक हैं। पेड़ों की देखभाल तीन साल के बच्चों की तरह करते हैं। छत पर गार्डनिंग के बारे में उन्होंने बताया कि पौधों की देखभाल में हर दिन तीन घंटे लगते हैं। वे बागवानी से काफी खुश भी हैं।
भरपूर मात्रा में उपजते हैं आम
आम की सफल खेती करने वाले जोसेफ को केरल कृषि विश्वविद्यालय से प्रमाण पत्र भी मिला है। यूनिवर्सिटी ने पेट्रीसिया किस्म की अद्वितीय मिठास और शुद्धता को मान्यता दी है। जोसेफ बताते हैं कि लगभग 12 साल पहले वे अपने परिवार के साथ एक फ्लावर शो में गए थे। 2010 के उस फ्लावर शो में उन्होंने पहली बार बोरियों में आम उगते देखा। इसके बाद घर की छत पर बागवानी का ख्याल आया और आम की अलग-अलग किस्मों की खेती का सफर वहीं से शुरू हो गया। गर्मी के मौसम में जोसेफ की छत पर भरपूर आम उपजते हैं।
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