गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के प्रभाव और वर्चस्व का सफर
गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ के गोरखधाम मठ का साम्राज्य है बहुत बड़ा, जहां शिक्षा, स्वास्थ्य, सहित तमाम सुविधाएं कराई जाती है मुहैया
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर मठ के बारे में शायद लोगों को कम जानकारी हो, लेकिन पिछले कुछ सालों में कई छोटी दुकानें यहां लगने लगी हैं, सैकड़ों लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, यह ना सिर्फ धार्मिक बल्कि शैक्षणिक संस्थान भी हैं, जहां लोग पढ़ने भी आते हैं और अपना इलाज कराने भी आते हैं और इन सब की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में है।
योगी आदित्यनाथ को 'गैस निकालने' वाला आसन करना चाहिए:ट्विंकल खन्ना
मठ से कुछ किलोमीटर की दूरी पर ताप्ती नदी के घाट हैं जहां युवा हर शाम को इकट्ठा होते हैं, इसमें कई युवा वो भी होते हैं जो योगी आदित्यननाथ के ट्रस्ट में पढ़ते हैं। पांच बार से लगातार गोरखपुर से सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को इस मठ का मुखिया महज 22 वर्ष की आयु में बना दिया गया था।
कब्रिस्तान के बगल में लगवाया पीपल का पेड़
योगी आदित्यनाथ जब पहली बारे में कई कहानियां हैं, उसमे से एक 1999 की है जब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और कल्याण सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। उस वक्त महाराजगंज से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर पंचरूखिया गांव में योगी आदित्यनाथ उस वक्त पहुंचे थे जब वहां एक पुराने पीपल के पेड़ को उखाड़ने की लोगों ने शिकायत की थी, स्थानीय लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय पर पीपल के पेड़ को तोड़ने का आरोप लगाया था, जिसके बाद योगी आदित्यनाथ ने यहां पहुंचकर ना सिर्फ भाषण दिया बल्कि कई पीपल के पेड़ भी वहां लगवाए।
फोटो सौजन्य इंडियन एक्सप्रेस
सपा नेता पर गोली चलवाने का आरोप
जब योगी आदित्यनाथ वहां से लौट रहे थे तो रास्ते में सपा के नेता तलत अजीज एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे, उनका आरोप है कि उस वक्त अचानक से उनके उपर फायरिंग शुरु हो गई थी, मुझे इस बात की संभावना है कि वह गोली मेरे उपर ही चलाई गई थी, लेकिन वह गोली हेड कॉस्टेबल सत्यप्रकाश यादव को लगी थी, जिसमें उनकी मौत हो गई थी, हम लोग खुद को बचाने के लिए खेतों में भाग गए थे।
अब मुश्किल है मामले को आगे ले जाना
इस घटना के बाद अजीज और पुलिस ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसके खिलाफ योगी आदित्यनाथ के समर्थकों ने भी एफआईआर दर्ज कराई थी, इस मामले में फाइनल रिपोर्ट सीबी-सीआईडी ने जमा कर दी है और अभी भी इस मामले में फैसला आना है। तलत अजीज के वकील अब्दुल हमीद कहते हैं कि अब मुझे पता नहीं है कि इस मामले को मैं कैसे आगे बढ़ाउंगा जब खुद योगी मुख्यमंत्री बन गए हैं। जब योगी आदित्यनाथ सिर्फ सांसद थे तो वकील ढूंढना तक मुश्किल था लेकिन अब जब वह मुख्यमंत्री बन गए हैं तो यह और भी मुश्किल होगा।
हिंदू युवा वाहिनी अहम हथियार
जिस जगह पर योगी आदित्यनाथ ने पीपल का पेड़ लगवाया था वहां कब्रिस्तान है। योगी आदित्यनाथ ने 1999 के बाद कभी भी कोई चुनाव नहीं हारा है, उन्होंने उस वक्त 2002 में हिंदू युवा वाहिनी का भी गठन किया था और आज भी उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। उस वक्त योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हिंदू युवा वाहिनी का गठन धार्मिक चर्चा के लिए किया गया है, इसके अलावा गो हत्या और हिंदू महिलाओं के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए भी इस वाहिनी का गठन किया गया है। यहां एक और गौर करने वाली बात है कि योगी आदित्यनाथ ने कभी भी हिंदु युवा वाहिनी के कामों से खुद को अलग नहीं किया और इसकी हमेशा से जिम्मेदारी ली। यहां एक बात और गौर करने वाली है कि मठ के पास अलीनगर और उर्दू बाजार का नाम बदलकर आर्यनगर और हिंदू बाजार कर दिया गया है।
आयुर्वेद संस्थान, 5 कॉलेज
गोरखनाथ मंदिर ट्रस्ट से तकरीबन 44 संस्थान जुड़े हैं जोकि गोरखपुर और वाराणसी तक भी हैं। इन सभी संस्थानों में सीसीटीवी कैमरा लगा है जोकि सीधे योगी आदित्यनाथ के मोबाइल से जुड़ा है। गुरु गोरखनाथ अस्पताल के सीएमओ डॉ देवी प्रसाद का कहना है कि हमें खुद योगी आदित्यनाथ की ओर से फोन आता है जब डॉक्टर या नर्स मरीज का इलाज नहीं करते हैं। दिग्विजय नाथ पोस्ट ग्रैजुएट कॉलेज में प्रधानाचार्य के कक्ष में हमेशा एक कुर्सी लगी होती है जिसपर गेरुआ कपड़ा लगा होता है और यहां सिर्फ योगी आदित्यनाथ बैठते हैं। संस्थान के प्रधानाचार्य शैलेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि इस कुर्सी पर हमेशा से योगी आदित्यनाथ ही बैठते हैं, इसकी रोज सफाई होती है लेकिन इसपर उनके अलावा कोई और नहीं बैठता है। यह मठ तकरीबन 800 एकड़ में फैला है और इसकी कुल लागत तकरीबन 500 करोड़ है। वहीं मुख्य गोरखनाथ मंदिर 56 एकड़ में फैला हुआ है जिसमें अस्पताल, आयुर्वेदिक सेंटर, संस्कृत स्कूल, गोशाला, हॉस्टल, आदि है।
सस्ती शिक्षा
मठ के मुख्य किचन में कुल 13 कुक हर रोज 450 लोगों के लिए खाना पकाते हैं, यह खाना कई सस्थानों को भी मुहैया कराया जाता है, यहां शिक्षकों का कहना है कि खाने का मेन्यू खुद योगी आदित्यनाथ ही तय करते हैं। यहां के स्कूल का जिम्मा योगी आदित्यनाथ संभालते हैं, यह एडेड स्कूल होने की वजह से शिक्षकों की सैलरी राज्य सरकार देती है। मठ पांच कॉलेज भी चलाता है, यहां की एक साल की फीस 4000 रुपए सालाना है, जहां छात्रों को तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। इन सभी कॉलेज में कुल 18000 छात्र पढ़ते हैं। वहीं मठ का सबसे सफल संस्थान आयुर्वेदिक संस्थान है जिसकी स्थापना 2003 में की गई थी, जहां कुल 350 बेट हैं और 22 विभाग हैं। यहां डेंगू सहित तमाम बीमारियों का इलाज कराया जाता है, इस अस्पताल में कुल 440 लोग काम करते हैं, यहां ओपीडी की फीस 30 रुपए है जिसकी वैद्यता 15 दिन तक होती है, जबिक एक बेड की कीमत 250 रुपए है और महज 10 रुपए में यहां खाना मिलता है।