क्या सोचते हैं अपने भारतीय और गे होने पर आयरलैंड के पीएम लियो वरदकर
डबलिन। आयरलैंड की कमान अब 38 वर्ष के प्रधानमंत्री लियो वारदकर के हाथ में हैं। लियो ने आयरलैंड का प्रधानमंत्री बनकर एक इतिहास भी रचा है। लियो पहले भारतीय हैं जिन्हें इस देश की कमान मिली है और वह आयरलैंड के सबसे युवा पीएम बने हैं।
भारतीय होना मेरे चरित्र का हिस्सा
राजधानी डबलिन के ट्रिनिटी कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले वरदकर आयरलैंड की राजनीति में वर्ष 2004 में दाखिल हुए थे। उस समय स्थानीय चुनाव में उन्हें डबलिन वेस्ट सीट पर 5,000 वोट हासिल हुए थे। इसके तीन वर्ष बाद यानी वर्ष 2008 में वरदकर इसी इलाके से चुनकर संसद तक पहुंचे। वर्ष 2014 में आयरलैंड के स्वास्थ्य मंत्री बने। वर्ष 2015 में वरदकर ने यहां के आरटीई रेडियो को एक इंटरव्यू दिया और इस इंटरव्यू में वरदकर ने अपनी सेक्सुअैलिटी और अपने भारतीय होने पर कई बातें कहीं। वरदकर ने कहा, 'ये ऐसा मुद्दा नहीं है जो मुझे परिभाषित करे। मैं कोई आधा-भारतीय राजनेता, या फिर एक डॉक्टर राजनेता या फिर एक गे राजनेता नहीं हूं। ये सब मेरे हिस्से हैं लेकिन यह मुझे परिभाषित नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि यह मेरे चरित्र का हिस्सा है।'
एक लेस्बियन भी कैबिनेट में शामिल
आयरलैंड के एलजीबीटी ग्रुप ने वरदकार के प्रधानमंत्री बनने का स्वागत किया है। डबलिन में गे कम्यूनिटी न्यूज के एडीटर ब्रायन फिनेगन ने कहा, 'आयरलैंड में वरदकर की पार्टी और मीडिया ने सिर्फ राजनीति पर ही अपना ध्यान लगाया और यह वाकई बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। उनकी पार्टी और मीडिया ने उन्हें एक गे पुरुष के तौर पर अपने देश का नेतृत्व करने वाला इंसान नहीं बताया बल्कि उनकी राजनीति के अंदाज को सबके सामने रखा। यह इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि आयरलैंड की राजनीति कितनी बदल चुकी है और अब यहां पर लोगों को इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता है कि उनका प्रधानमंत्री एक गे है। आयरलैंड के चुनावों में जहां एक गे को प्रधानमंत्री चुना गया है तो एक लेस्बियन कैथरीन जापोने को भी कैबिनेट में जगह मिली है। फिनगेन के मुताबिक आज से 10 वर्ष पहले इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।