मोदी ने खोला, उन्हें 'मौत का सौदागर' कहे जाने का राज, चो रामास्वामी के बारे में 5 खास बातें
मिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के एक दिन बाद और बुरी खबर आई है। कभी जयललिता के सलाहकार रहे तमिल मैगजीन तुगलक के संपादक और राज्यसभा सांसद चो रामास्वामी का निधन हो गया।
नई दिल्ली। तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के एक दिन बाद और बुरी खबर आई है। कभी जयललिता के सलाहकार रहे तमिल मैगजीन तुगलक के संपादक और राज्यसभा सांसद चो रामास्वामी का निधन हो गया। वो 82 वर्ष के थे और अपने पीछे अपनी पत्नी, पुत्र और बेटी को छोड़ गए हैं। पिछले ही सप्ताह उन्हें चेन्नई के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यही पर जयललिता भी भर्ती थी।
तमिलनाडु से दिल्ली तक था असर
चो रामास्वामी एक ऐसी शख्सियत थे जिनका असर तमिलनाडु से लेकर दिल्ली की राजनीति तक रहता था। चो रामास्वामी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था जिसमें अधिकतर लोग वकालत से जुड़े हुए थे। उनके दादा अरुणाचला अय्यर, श्रीनिवासा अय्यर और उनके चाचा मातरूभूतम जाने-माने वकील थे। कुछ समय के लिए चो रामास्वामी ने भी टीटीके समूह में बतौर कानूनी सलाहकार काम किया था। पर बाद में खुद को उन्होंने थियेटर की तरफ मोड़ दिया था। बाद में उन्होंने फिल्में भी बनाई। पर अंत में आकर उन्होंने खुद की मैगजीन लांच की और उसमें संपादक बन गए।
थियेटर और पत्रकारिता दोनों क्षेत्रों में किया खूब काम
पत्रकारिता में आने से पहले उन्होंने थियेटर में काम के जरिए ही नाम कमा लिया था। उन्होंने थियेटर के जरिए राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर लगातार प्रहार किया। वर्ष 1960 के दौरान सत्तारुढ कांग्रेस जिसके मुखिया एम. भक्तावातसल्म थे। उन्होंने चो रामास्वामी के नाटक संभावमी युगे-युगे की स्क्रिप्ट को सेंसर करने का प्रयास किया था। बाद में उन्होंने मोहम्मद बिन तुगलक नाटक के जरिए सत्ता पर प्रहार करना शुरु किया। इस नाटक को हर जगह पर पसंद किया गया और इसके सत्तारूढ़ शासन पर कड़ा प्रहार माना गया।
जब अम्मा ने चो रामास्वामी से कहा, उन्हें उनकी जरूरत है
अटल बिहारी सरकार ने राज्यसभा भेजा
बाद में चो रामास्वामी को बी.डी. गोयनका एक्सीलेंस ऑफ जर्नलिज्म अवॉर्ड भी मिला। इसके साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी शासन वाली सरकार ने उन्हें राज्यसभा सांसद के तौर पर भी नामित किया। चो रामास्वामी अपने योग्यता के बल पर कई राजनीतिज्ञों के घनिष्ठ मित्र बन चुके थे। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के अध्यक्ष कामाराज उनमें से एक थे। उन्होंने कामराम और इंदिरा गांधी के बीच मध्यस्थता कराने का काम भी किया था। इसके अलावा उनकी घनिष्ठता जयप्रकाश नारायण, एल के आडवाणी, आरएसएस नेता बालासाहेब देवरास, चंद्रशेखर, जी.के. मूपानर, जयललिता और नरेंद्र मोदी से उनकी घनिष्ठता थी। इन सब के बारे में चो रामास्वामी ने अपनी मैगजीन तुगलक के वार्षिक सम्मेलन के दौरान कहीं थी।
तुगलक मैगजीन के जरिए डीएमके को किया परेशान
बाद में उन्होंने डीएमके शासन के दौरान मोहम्मद बिन तुगलन फिल्म बनाई थी जिसे रोकने का प्रयास किया गया था। उन्होंने अपनी तुगलक मैगजीन को 14 जनवरी, 1970 को शुरु किया था। इसके जरिए डीएमके को खूब परेशान भी किया था। अपनी मैगजनी के जरिए वो सब पर कटाक्ष करते रहे।
जब चो रामास्वामी ने पीएम मोदी की प्रशंसा करने के लिए प्रयोग कहा 'मौत का सौदागर'
सोनिया गांधी में एक बार गुजरात में चुनाव के समय नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर बताया था। पर चो रामास्वामी ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मौत का सौदागर बताया तो यह बात उन्होंने नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करने के लिए कही थी। चो रामास्वामी ने कहा कि मैंने उन्हें मौत का सौदागर इसलिए बुलाया क्योंकि वो भ्रष्टाचार, आतंकवाद और भाई-भतीजावाद को खत्म करने वाले साबित हुए हैं। वो यहीं पर नहीं रुके उन्होंने कहा कि मैंने पीएम नरेंद्र मोदी को इसलिए यह कहा क्योंकि उन्होंने गरीबी को खत्म करने, नौकरशाही की कमियों को कम करने, अंधेंरे को खत्म करने वाला मौत का सौदागर बताया था।