जीप पर युवक को बांधने वाले मेजर को सेना ने दी क्लीन चिट
सेना ने राष्ट्रीय राइफल्स के उस मेजर को दी क्लीन चिट जिसने नौ अप्रैल को कश्मीर के उप-चुनावों में पत्थरबाजों से बचने के लिए युवक को जीप के बोनट से बांधा था।
श्रीनगर। सेना ने उस मेजर को क्लीन चिट दे दी है जिसने एक कश्मीरी युवक को बडगाम में जीप पर बांधा था। नौ अप्रैल को बडगाम से एक वीडियो आया था जिसमें उपचुनावों के दौरान एक युवक को सेना ने जीप पर बांध दिया था। वीडियो के कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सबसे पहले ट्वीट किया था और इस पर काफी विवाद हुआ था।
हर किसी ने किया था मेजर का समर्थन
सेना की ओर से पिछले माह अप्रैल में ही मेजर के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के ऑर्डर दिए गए थे। सेना की ओर से इस कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी को कर्नल रैंक के ऑफिसर ने पूरा किया है और उसे 15 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। भले ही इस ऑफिसर के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए गए थे लेकिन थल सेना के अलावा वायु सेना और नौसेना के अधिकारियों ने भी इस मेजर का समर्थन किया था। यहां तक कि सरकार की ओर से भी उनका समर्थन करने का फैसला किया गया था। सूत्रों के मुताबिक मेजर ने कश्मीरी युवक फारूक अहमद डार को जीप पर बांधने का जो फैसला लिया था, उसे सीनियर ऑफिसर्स सराहा था। ऑफिसर्स का मानना था कि यह फैसला मेजर की तीव्र सोचने की क्षमता, उनकी मानसिक ताकत के साथ ही खून-खराबे को रोकने के लिए पहल लेने की क्षमता को दर्शाता है। अगर वह ऐसा फैसला न लेते तो शायद स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती थी।इस मसले में जम्मू कश्मीर पुलिस की ओर से केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने इस मामले में रणबीर पीनल कोड के तहत सेना की 53 राष्ट्रीय राइफल यूनिट पर धारा 342/149/506 और 367 के तहत केस दर्ज किया था।
क्यों लिया था मेजर ने यह फैसला
नौ अप्रैल को जब कश्मीर में उपचुनाव के लिए वोट डाले जा रह थे जो बडगाम के पुलिस बूथ पर पत्थरबाजों की एक भीड़ ने हमला कर दिया था। यहां पर उन आईटीबीपी और जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों पर पत्थर फेंके जा रहे थे जो वोटर्स की सुरक्षा में तैनात थे। ड्यूटी पर तैनात आईटीबीपी जवानों को यह इस बात का अहसास हो गया था कि उनके लिए अपनी जान बचा पाना बहुत ही मुश्किल है। भीड़ में जो युवा थे उनकी संख्या करीब 900 थी। ड्यूटी पर तैनात जवानों ने आर्मी की मदद लेने का फैसला किया। आईटीबीपी की अपील पर 17 लोगों की एक आर्मी क्यूआरटी वैन यानी क्विक रिएक्शन टीम को भेजा गया। थोड़ी देर बाद इस टीम को भी यह बात मालूम पड़ गई थी उस जगह से सुरक्षित निकल पाना बहुत ही कठिन है। क्यूआरटी कमांडर के मुताबिक इन हालातों में फायरिंग करना और तनाव को बढ़ाना और खतरनाक साबित हो सकता था। आर्मी ने 26 वर्ष के फारूक अहमद डार को पकड़ा जो कहा जा रहा है कि पत्थरबाजों की भीड़ में था और जवानों पर पत्थर फेंक रहा था। आर्मी ने उसे जीप पर बांध और फिर 900 लोगों की भीड़ से आईटीबीपी और जम्मू कश्मीर पुलिस के करीब 19 जवानों को सुरक्षित निकाल कर ले गई।
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