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वो एक ही अमिट नाम है अम्मा!
धरती में मिल जाने तक,
घुटने के बल चलने से,
असमान में उड़ने तक
दुःख दर्द ग़म तन्हाई रूह,
जगत पर हर पल छाई
वो एक ही अमिट नाम है अम्मा !!
पहला
लफ्ज़,
पहली
साँस
पहली
भूख
पहला
प्यास
पहली
बार
जब
आंखें
खोली
पहली
बार
जब
रौशनी
देखी
पहली
बार
आवाज़
सुनी
जब
डर
के
चौक
के
जिसको
पकड़ा
वो
एक
ही
अमिट
नाम
है
अम्मा
!!
कितना
रास
आता
है
यह
जीवन
अनजानी
प्यास
में
भटकता
है
मन
इस
रंग
बिरंगे
मेले
में
खो
जाती
जाने
कहाँ
है
अम्मा
सपने
टूटे
हैं
मन
अवसादित
होता
है
सब
कुछ
क्षण-भंगुर
आभासित
होता
है
याद
आता
है
वो
एक
अमिट
नाम
है
अम्मा
!!
लेखक परिचय- आलोक कुमार श्रीवास्तव, बेंगलूरु में एल एंड टी में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।
English summary
Bangalore techie Alok Kumar Srivastava writes a poetry on Mother's Day. Hindi Poem dedicated to mother.
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