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जगन्नाथ मंदिर से जुड़े रहस्य जानकर रह जाएंगे हैरान

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर के बारे में आपने सुना ही होगा। पुरी में भगवान विष्णु ने पुरुषोत्तम नीलमाधव के रूप में अवतार लिया था। इस मंदिर को धरती का बैकुंठ भी कहा जाता है। लेकिन इससे जुड़े रहस्य आपको आश्चर्य में डाल देंगे।
Deepak Saxena
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर लगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। ये झंडा विपरीत दिशा में कैसे लहराता है इसका पता आज तक वैज्ञानिक भी न लगा सके हैं।
मंदिर के निर्माण से एक प्रथा चली आ रही हैं। मंदिर का झंडा प्रतिदिन बदला जाता है। इसको बदलने के लिए एक पुजारी 45 मंजिला इमारत जितनी मंदिर की ऊंचाई पर चढ़कर इसको बदलता है। कहा जाता है कि एक दिन भी झंडा न बदलने पर मंदिर 18 साल तक बंद रहेगा।
मंदिर के शिखर पर रखे सुदर्शन चक्र को देखने पर हर दिशा से आपको सामने ही नजर आएगा। साथ ही एक टन वजनी चक्र को मंदिर के शिखर तक ले जाने के लिए उस शताब्दी में किस मशीनरी का प्रयोग किया गया होगा, ये सवाल आज भी पहेली बना हुआ है।
मंदिर में एक रहस्यमयी बात ये हैं कि इस मंदिर के ऊपर से आज तक कोई पक्षी उड़ता हुआ नहीं देखा गया। साथ ही मंदिर के ऊपर से हवाई जहाज निकलने की अनुमति नहीं है।
मंदिर प्रांगण में जिस बर्तन में प्रसाद तैयार किया जाता है वो प्रक्रिया काफी रहस्यमयी है। 7 बर्तनों को एक दूसरे के ऊपर रखकर पकाया जाता है लेकिन, ताज्जुब की बात है सबसे पहले भोजन ऊपर वाले बर्तन का पकता है।
मंदिर के प्रवेश द्वार सिंघा द्वार में कदम रखते ही आपको समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई देती है। ये घटना अधिकतर शाम के समय होती है।
पुरी में भगवान के दर्शन के लिए हजारों की संख्या में भक्त आते हैं। यहां भगवान जगन्नाथ उनके भाई बलदेव और बहन सुभद्रा की पूजा की जाती है। इनकी प्रतिमाएं लकड़ी की बनी हैं,जिन्हें हर 12 साल में बदला जाता है।
मंदिर का निर्माण इस शैली से किया गया है कि दिन के समय मंदिर की कभी भी परछाई नहीं बनती है।
मंदिर की स्थापित मूर्तियां अधूरी हैं। कहा जाता है कि मंदिर के निर्माण समय में प्रतिमाओं का निर्माण विश्वकर्मा कर रहे थे। उन्होंने निर्माण के समय किसी के अंदर न आने की शर्त रखी। लेकिन, राजा के देखने के बाद विश्वकर्मा मूर्ति को अधूरा छोड़कर चले गए।