झारखंड-आरयू को मुंडारी के 18 लेक्चरर मिले, अब रिसर्च को गति मिलेगी
रांची यूनिवर्सिटी में राज्य गठन के बाद पहली बार मुंडारी भाषा के 18 स्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर मिले हैं। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की अनुशंसा के आलोक में इन शिक्षकों नियुक्ति प्रस्ताव स्वीकृति प्रदान कर दी गई। शनिवा
रांची.07 अगस्त: रांची यूनिवर्सिटी में राज्य गठन के बाद पहली बार मुंडारी भाषा के 18 स्थायी असिस्टेंट प्रोफेसर मिले हैं। झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की अनुशंसा के आलोक में इन शिक्षकों नियुक्ति प्रस्ताव स्वीकृति प्रदान कर दी गई। शनिवार को वीसी प्रो. अजीत कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में सिंडिकेट की आपात मीटिंग हुई, जिसमें सदस्यों ने चर्चा के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी। बताते चलें कि तीन दशक से भी अधिक समय से मुंडारी भाषा में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई थी। इसलिए तदर्थ शिक्षकों द्वारा क्लास संचालित किया जा रहा है। स्थाई शिक्षक मिल जाने के जाने से अब एकेडमिक एक्टिविटी को गति मिलेगी।
स्थायी शिक्षक की कमी के चलते इस विषय में नेट, जेआरएफ पास करने के बाद भी स्कॉलरों को रिसर्च के लिए गाइड नहीं मिलता था। क्योंकि स्थायी शिक्षक ही अपने अंतर्गत रिसर्च करा सकता है। वीसी ने सिंडिकेट सदस्यों को राष्ट्रीय ध्वज भेंट करते हुए 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा कार्यक्रम की शुरुआत की। बैठक में वीसी के अलावा प्रोवीसी प्रो. कामिनी कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ. आरके शर्मा, रजिस्ट्रार डॉ. मुकुंद मेहता समेत अन्य सदस्य थे।
इन
अभ्यर्थियों
की
नियुक्त
पर
लगी
मुहर
जेपीएससी
की
अनुशंसा
के
आलोक
में
18
असिस्टेंट
प्रोफेसर
की
नियुक्ति
अनुशंसा
की
स्वीकृति
प्रदान
की
गई
है।
इसमें
बिरेंद्र
कुमार
सोय,
करम
सिंह
मुंडा,
अलबिना
जोजो,
इसबेला
होरो,
सबरन
सिंह
मुंडा,
सावित्री
कुमारी,
मार्शल
पूर्ति,
करम
सिंह
ओरेया,
इंदिरा
कोंगारी,
लखिंदर
मुंडा,
जुरन
सिंह
मानकी,
बासुदेव
हासा,
किशोर
सुरीन,
जय
मुनि,
विश्वेश्वर
मुंडा,
पार्वती
मुंडा,
खातिर
हेंब्रम
और
अजीत
मुंडा
शामिल
हैं।