दिल्ली सरकार की ACB कर सकती है दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ जांच: हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) गृह मंत्रालय के तहत आने वाले शहर के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर जांच कर सकती है. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा
नई दिल्ली, 06 जुलाई:दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) गृह मंत्रालय के तहत आने वाले शहर के पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर जांच कर सकती है. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि जब किसी प्रभारी प्राधिकारी के पास शिकायत की जाती है, तो शिकायत दर्ज करते समय इसकी जांच करना उसका कर्तव्य और अधिकार है और वह उचित पड़ताल के बाद मामले को देखने के लिए उसे संबंधित प्राधिकारी को स्थानांतरित कर सकता है.
अदालत दिल्ली पुलिस के एक उप-निरीक्षक की याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने निचली अदालत द्वारा भ्रष्टाचार रोधी कानून के तहत उसके खिलाफ आरोप तय किए जाने को इस आधार पर चुनौती दी थी कि भ्रष्टाचार रोधी शाखा केंद्र सरकार के कर्मचारियों से संबंधित अपराधों की जांच नहीं कर सकती और इसके द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई अस्वीकार्य और कानून के विपरीत होगी.
वर्तमान मामले में शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को एक लिखित शिकायत की थी कि याचिकाकर्ता ने उसे शस्त्र लाइसेंस देने के लिए अपनी रिपोर्ट भेजने के लिए रिश्वत के रूप में 20,000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा था और बाद में उसके खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी.याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह अनुशासनात्मक जांच में बरी हो गया है. इसलिए उसे आपराधिक कार्यवाही में दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता की यह दलील कि भ्रष्टाचार निरोधक शाखा के पास शिकायत के आधार पर उसके मामले की जांच करने का अधिकार नहीं है, कायम नहीं सकती है.
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अदालत ने एक अन्य मामले में पारित एक पूर्व आदेश का उल्लेख किया और कोट किया 'अपराध की जांच और मुकदमा चलाने के लिए जीएनसीटीडी के एसीबी को दिल्ली पुलिस अधिकारी के संबंध में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत शिकायत पर विचार करने और उस पर कार्रवाई करने का अधिकार है. अदालत ने हालांकि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता को राहत दी और उसके खिलाफ आरोपों के साथ-साथ बाद की कार्यवाही को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह विभागीय कार्यवाही में योग्यता के आधार पर बरी हो गया था.