जानिए ओडिशा बीजेपी की पहुंच से बाहर क्यों रहा है?
एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भाजपा ने 19 राज्यों तक अपना विस्तार किया है और इसके बाद हमारी पार्टी के ऊपर से "हिंदी हार्टलैंड पार्टी" का टैग हट गया है
भुवनेश्वर, 12 अगस्त: भाजपा को लगातार ऐतिहासिक चुनावी जनादेश दिलाने वाले अमित शाह ने हाल ही में ओडिशा में दावा किया कि भारतीय जनता पार्टी ओडिशा में अगली सरकार बनाएगी। अमित शाह का ये बयान सियासी सुर्खियों में है और काफी अहम माना जा रहा है।
दरअसल भुवनेश्वर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भाजपा ने 19 राज्यों तक अपना विस्तार किया है और इसके बाद हमारी पार्टी के ऊपर से "हिंदी हार्टलैंड पार्टी" का टैग हट गया है। इसी दौरान शाह ने 2024 के आम चुनावों में अपनी पार्टी की जीत और ओडिशा में भाजपा के सत्ता में आने की भविष्यवाणी की। हालांकि बीजू जनता दल ने शाह के इस ऐलान को 'दिन का सपना' करार दिया।
2019 के विधानसभा चुनाव में रनर अप रही भाजपा के लिए अमित शाह ने मिशन 120 तय किया था। भाजपा विधानसभा में केवल 22 सीटों पर तक ही पहुंच पाई, लेकिन उसे आठ लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। हालांकि, इसके बाद भाजपा की हालत कमजोर हुई है।
बीजू जनता दल की मजबूत पकड़ के खिलाफ, भगवा पार्टी हर चुनौती पर लड़खड़ाई है। भाजपा को पंचायत और नगरपालिका दोनों चुनावों में भारी हार तो मिली ही, साथ ही चारों विधानसभा उपचुनाव भी हार गई। एक मजबूत संगठनात्मक आधार के बावजूद, आंतरिक कलह, मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की अनुपस्थिति और केंद्रीय नेतृत्व से दिशा-निर्देश की कमी ने भाजपा को लगातार पीछे धकेल दिया।
वहीं, दूसरी तरफ बीजू जनता दल अपनी चुनावी रणनीति और भाजपा के साथ संबंधों के बीच एक अच्छा संतुलन बनाने में सफल रही है। यही नहीं, सीएए और अनुच्छेद 370 जैसे सभी प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दों पर एनडीए के पक्ष में खड़े होकर बीजू जनता ने मुश्किल में साथ देने वाले दोस्त की भूमिका भी निभाई। राष्ट्रपति के तौर पर द्रौपदी मुर्मू का पूरे दिल से समर्थन एक स्वाभाविक बात थी, लेकिन बीजू जनता ने जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति चुनने के दौरान भी एनडीए का ही साथ दिया।
क्या ऐसे में भाजपा पूरी ताकत से ओडिशा में बीजू जनता दल के खिलाफ चुनाव लड़ पाएगी? यह पूरी तरह असंभव लगता है। बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के सियासी समीकरणों के बीच बीजू जनता बिना किसी गठबंधन के मजबूती से खड़ी है।