क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Yogini Ekadashi 2020: मृत्यु के बाद मोक्ष देती है योगिनी एकादशी

By Pt. Gajendra Sharma
Google Oneindia News

नई दिल्ली। प्रत्येक एकादशी व्रत का अपना अलग महत्व होता है। प्रत्येक एकादशी किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए की जाती है। यदि आप सांसारिक भोगों, स्त्री सुख और ऐश्वर्यशाली जीवन की लालसा रखते हैं तो आपको योगिनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष योगिनी एकादशी 17 जून बुधवार को आ रही है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस एकादशी का व्रत करने से समस्त प्रकार के सांसारिक सुख तो प्राप्त होते ही हैं, स्त्री सुख भी प्राप्त होता है और मृत्यु के बाद व्यक्ति को विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के समान फल प्राप्त होता है।

कैसे करें योगिनी एकादशी

कैसे करें योगिनी एकादशी

दशमी तिथि को रात्रि भोजन न करें। व्रती संयम का पालन करें। काम, क्रोध, लोभ, मोह, झूठ आदि पापकर्मों से दूर रहे। एकादशी तिथि के दिन सूर्योदय पूर्व उठकर स्नान करें। इस दिन शुद्ध काली मिट्टी से स्नान करना शुभ माना जाता है। स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। फिर एक कुंभ की स्थापना करें। उसके ऊपर भगवान विष्णु की प्रतिमा रख कर पूजन करें। पीले पुष्प, धूप, दीप से पूजन कर मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाएं। पूरे दिन व्रत रखते हुए रात्रि में जागरण करते हुए भगवान विष्णु की आराधना करें।

पीपल की पूजा से लाभ

  • योगिनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन प्रात: पीपल के पेड़ में कच्चे दूध में ताजा जल और बताशा डालकर अर्पित करने से धन-दौलत की कमी दूर होती है।
  • शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे शुद्ध घी के सात दीपक लगाने से धन के भंडार भर जाते हैं।
  • इस दिन पीपल का पौधा भी रोपना चाहिए, जिससे मानसिक और शारीरिक परेशानी दूर होती है।
  • योगिनी एकादशी के दिन गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना सबसे अच्छा माना गया है। इससे भगवान विष्णु की कृपा से सारे संकट दूर होते हैं।
  • भगवद्गीता के 11वें अध्याय का पाठ करने से अनेक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। जीवन में संयम, सदाचार और अभयता आती है।

यह पढ़ें: जमीन पर बैठकर भोजन करें तो इन बातों का रखें खास ख्यालयह पढ़ें: जमीन पर बैठकर भोजन करें तो इन बातों का रखें खास ख्याल

योगिनी एकादशी व्रत कथा

योगिनी एकादशी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्गधाम की अलकापुरी नाम की नगरी में कुबेर नाम का राजा राज्य करता था। वह भगवान शिव का अनन्य भक्त था। वह भगवान शिव पर हमेशा ताजे फूल अर्पित किया करता था। जो माली उसके लिए पुष्प लाया करता था उसका नाम हेम था। हेम माली अपनी पत्नी विशालाक्षी के साथ सुख पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहा था। एक दिन हेम अपनी पत्नी के साथ रमण करने लगा और भगवान शिव की पूजा के लिए पुष्प ले जाना भूल गया। जब राजा कुबेर को उसकी राह देखते-देखते दोपहर हो गई, तो उसने क्रोधपूर्वक अपने सेवकों को माली का पता लगाने भेजा।

कुबेर ने माली को बुलाने की आज्ञा दी

सेवकों ने माली का पता करके राजा को सूचना दी कि माली अपनी स्त्री के साथ रमण कर रहा है। सेवकों की बात सुनकर कुबेर ने माली को बुलाने की आज्ञा दी। जब माली को राजा कुबेर के सामने पेश किया गया तो क्रोधित राजा ने उसे कहा कि माली तूने भगवान शिव की पूजा में विघ्न डाला है, तू उनकी पूजा के लिए पुष्प लाने की जगह स्त्री रमण में लगा रहा। यह भगवान शिव का अपमान है। मैं तुझे श्राप देता हूं कि तू स्त्री का वियोग भोगेगा। मृत्यु लोक में जाकर कोढ़ी हो जाएगा। कुबेर के श्राप से हेम माली उसी क्षण स्वर्ग से पृथ्वी लोक पर आ गिरा और कोढ़ी हो गया। स्त्री से बिछुड़कर मृत्युलोक में आकर महादुख भोगता रहा, परंतु शिवजी की पूजा के प्रभाव से उसे पिछले जन्म के कर्मों का स्मरण हो आया। वह हिमालय पर्वत की तरफ चल दिया। एक दिन भटकते हुए वह मार्कण्डेय ऋषि के आश्रम में जा पहुंचा। हेम माली ने उन्हें प्रणाम कर विनय पूर्वक अपनी व्यथा कह सुनाई। माली की व्यथा सुनकर ऋषि ने कहा कि मैं तुम्हारे उद्धार में सहायता करूंगा। तुम आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की योगिनी नामक एकादशी का विधिपूर्वक व्रत करो। इस व्रत के प्रभाव से तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे। मुनि के वचनों के अनुसार हेम माली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया। व्रत के प्रभाव से वह फिर से अपने पुराने रूप में आ गया।

योगिनी एकादशी तिथि कब से कब तक

योगिनी एकादशी तिथि कब से कब तक

  • एकादशी तिथि आरंभ 16 जून को सूर्योदय पूर्व तड़के 5.39 बजे से
  • एकादशी तिथि समाप्त 17 जून को प्रात: 7.49 बजे तक
  • पारण का समय 18 जून को प्रात: 5.28 से 8.14 बजे तक

यह पढ़ें: जन्म कुंडली के दोष दूर कर देते हैं त्रिकोण में बैठे बलवान ग्रहयह पढ़ें: जन्म कुंडली के दोष दूर कर देते हैं त्रिकोण में बैठे बलवान ग्रह

Comments
English summary
Yogini Ekadashi falls in the month of Ashadha that is during the Krishna Paksha, which is the waning phase of the moon. here is date, Muhurat and Pooja Vidhi.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X