विश्व योग दिवस: एक नजर योगा के इतिहास पर...
नई दिल्ली। 21 जून को विश्व योग दिवस है, इस दिवस को लेकर कहीं उत्साह है तो कहीं ये बहस का मुद्दा भी है लेकिन राजनीति या धर्म के चश्में को अगर आप हटाकर देखेंगे तो पाएंगे कि योग एक साधना का विषय है, जिसे प्रत्येक इंसान को समझना चाहिए।
आइए एक नजर डालते है योग के इतिहास पर....
योग को हमेशा से ध्यान से जोड़कर देखा जाता रहा है। इतिहासकारों के अनुसार प्राचीन काल में गुफाओं के अंदर तमाम लोग ध्यान करते थे। इसके प्रमाण मुंबई की एलीफैंटा केव से लेकर हिमालय पर्वत की गुफाओं में आज भी मिलते हैं। तमिलनाडु से लेकर असम तक और बर्मा से लेकर तिब्बत तक के जंगलों की कंदराओं में आज भी वो गुफाएं मौजूद हैं, जहां पर योग व ध्यान किया जाता था।
योग की उत्पत्ति
योग संस्कृत धातु 'युज' से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ है व्यक्तिगत चेतना या रूह से मिलन। योग 5000 वर्ष प्राचीन भारतीय ज्ञान का समुदाय है। यद्यपि कई लोग योग को केवल शारीरिक व्यायाम ही मानते हैं, जहां लोग शरीर को तोड़ते-मरोड़ते हैं और श्वास लेने के जटिल तरीके अपनाते हैं।
वास्तव में देखा जाए तो ये क्रियाएँ मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमताओं की तमाम परतों को खोलने वाले ग़ूढ विज्ञान के बहुत ही सतही पहलू से संबंधित हैं।
विश्व योग दिवस
भारत में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभाला तो उन्होंने पूरे विश्व से आग्रह किया कि वे स्वस्थ्य रहने के लिये योग को अपनायें। संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में घोषित किया। सच पूछिए तो भारत के लिये यह गर्व की बात है, क्योंकि योग की जननी भारत माता ही हैं।