Vishakh Purnima 2019: वैशाख पूर्णिमा पर करें जलकुंभ का दान, मिलेगा लाभ
नई दिल्ली। संसार में जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी निश्चित है, लेकिन फिर भी इंसान अपनी मृत्यु से भयभीत रहता है। वह मृत्यु को टालने और चकमा देने की कोशिश में पूरा जीवन बिता देता है, लेकिन मृत्यु तो अटल है और अपने तय दिन पर उसे आना ही है। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी आकस्मिक घटना-दुर्घटनाएं हो जाती हैं जो व्यक्ति को या तो मृत्यु तुल्य कष्ट देती है या फिर वह व्यक्ति मृत्यु के मुंह में चला जाता है। आजकल जिस तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं, वाहन दुर्घटनाएं हो रही हैं ऐसे में स्वयं सावधानी रखने के साथ-साथ कुछ वैदिक और ज्योतिषीय उपाय करना भी आवश्यक है। ये उपाय मनुष्य के आसपास सुरक्षा कवच बनाकर उनकी सर्वत्र रक्षा करते हैं। लेकिन ऐसे उपाय करने के भी कुछ विशेष दिन होते हैं। ऐसा ही एक दिन आ रहा है वैशाख पूर्णिमा।
18 मई को वैशाख पूर्णिमा
18 मई शनिवार को वैशाख पूर्णिमा आ रही है। यह पूर्णिमा जहां धन-संपत्ति, सुख-संपदा और भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त करने का प्रमुख दिन है, वहीं यमराज की पीड़ा से रक्षा करने के लिए भी महत्वपूर्ण है। वैशाख पूर्णिमा के दिन केवल एक उपाय मनुष्य को आकस्मिक दुर्घटनाएं, घटनाएं और रोगों से सुरक्षा प्रदान कर यमराज की पीड़ा से बचा लेती है। इस एक प्रयोग को करके अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है।
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क्या है प्रयोग?
वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन जलकुंभ का दान करने के निर्देश शास्त्रों में वर्णित है। अक्षय तृतीया के दिन जहां मिट्टी के खाली घड़े पर खरबूजा रखकर दान किया जाता है, वहीं वैशाख पूर्णिमा के दिन शुद्ध जल से भरे मिट्टी के नए कलश का दान करना चाहिए। शास्त्रीय मान्यता है कि इस दिन जल से भरे कुंभ यानी घड़े का दान करने से व्यक्ति को यम की प्रताड़ना से मुक्ति मिलती है। इससे व्यक्ति की आयु में वृद्धि होती है। आकस्मिक दुर्घटनाओं से उस व्यक्ति और उसके परिवार की रक्षा होती है तथा वह व्यक्ति अपनी पूर्ण आयु तक निरोगी तथा सुखी रहता है। गरुड़ पुराण में एक जगह स्वयं यमराज कहते हैं, 'जो व्यक्ति जल से भरे हुए कुंभ का दान करता है, प्यासों को पानी पिलाता है, पक्षियों-जानवरों के भोजन-जल का प्रबंध करता है, वह स्वयं तो मेरी पीड़ा से बचा ही रहता है, उसके परिवार का रक्षण मैं स्वयं करता हूं।"
कैसे करें जल कुंभ का दान
वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रात:काल स्नानादि से निवृत्त होकर पंचदेवों श्रीगणेश, सूर्य, दुर्गा, विष्णु और शिव का पूजन करें। बाजार से एक नया मिट्टी का कलश खरीदकर लाएं। इसे अपने पूजा स्थान में रखकर पंचदेवों के साथ पूजन करें। कुंभ पर कुमकुम से स्वस्ति बनाएं। इसमें शुद्ध और ताजा जल भरें। फिर इस पर मिट्टी का ही एक ढक्कन लगाकर किसी जरूरतमंद को दान करें या किसी मंदिर में रख आएं। कुंभ के साथ कुछ द्रव्य यानी दक्षिणा जरूर दें। कुंभ का पूजन करते समय यमराज से स्वयं और अपने परिवार की रक्षा की कामना करें।
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