Vijaya Ekadashi: सर्वत्र विजय दिलाने वाला सिद्ध व्रत
नई दिल्ली। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जैसा कि इसके नाम से ही जाहिर है, विजया यानी जीत दिलाने वाली। इस एकादशी का व्रत करने से जीवन में सर्वत्र विजय हासिल होती है, चाहे वह कोई भी क्षेत्र हो, व्यक्ति को कभी पराजय का मुंह नहीं देखना पड़ता। कहा जाता है लंका विजय के लिए जाते समय भगवान श्रीराम इसी एकादशी के दिन समुद्र के किनारे बैठकर पूजन किया था। जिसके बाद समुद्र ने रास्ता दिया और श्रीराम की सेना लंका तक पहुंचने में सफल हुई। इस बार विजया एकादशी 19 फरवरी 2020, बुधवार को आ रही है।
विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए करें एकादशी का व्रत
इस एकादशी का पूजन भी अन्य सभी एकादशियों की तरह ही किया जाता है। भगवान श्रीहरि की पंचोपचार पूजा करके व्रत का संकल्प लिया जाता है। अपनी किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत कर रहे हैं तो वह भी इस अवश्य भगवान के सामने संकल्प के साथ बोलें। इस दिन पेड़े का फलाहार किया जाता है। भगवान श्रीहरि को पेड़े का नैवेद्य लगाकर स्वयं भी प्रसाद ग्रहण करें। पूजा में तुलसी पत्र भी अवश्य रखें। एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
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विजया एकादशी का फल
- विजया एकादशी व्रत करने से भाग्य को बल मिलता है, जिससे जीवन में सफलता मिलती है।
- भगवान विष्णु की कृपा से धन कोष में वृद्धि होती है। संपत्ति सुख प्राप्त होता है।
- पारिवारिक संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए यह व्रत सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
- यदि आप रोगों से ग्रसित हैं तो विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ शिव का पूजन भी करें।
- अविवाहित युवक-युवतियां इस दिन शिव-पार्वती का पूजन करें और एकादशी व्रत रखें।
- कोर्ट कचहरी संबंधी मामलों में उलझे हुए हैं तो इस एकादशी से रास्ता खुलता है।
- महाशिवरात्रि से ठीक पहले आने वाली इस एकादशी से भगवान शिव की कृपा भी प्राप्त होती है।
विजया एकादशी कब से कब तक
- 18 फरवरी दोपहर 2.32 बजे से
- 19 फरवरी दोपहर 3.01 बजे तक
- पारणा: 20 फरवरी को सुबह 7.52 से 9.12 तक
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