लक्ष्मी-विष्णु को भी प्रिय है वैशाख पूर्णिमा, जानिए इसका महत्व
नई दिल्ली। संपूर्ण वैशाख माह अत्यंत ही पुण्यदायी और पवित्र है। वैशाख माह की महिमा का वर्णन अनेक पुराणों में आया है। इस माह का समापन वैशाख पूर्णिमा के दिन होता है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष वैशाख पूर्णिमा 18 मई शनिवार को आ रही है। ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाए तो पूर्णिमा तिथि धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने का सबसे प्रमुख दिन है।
वैसे तो वर्ष की प्रत्येक पूर्णिमा अपने आप में खास होती है, लेकिन इनमें वैशाख पूर्णिमा का महत्व सर्वाधिक है, क्योंकि यह पूर्णिमा पवित्र वैशाख माह का अंतिम दिन होती है और इस दिन स्नान, दान, पूजन के जरिए संपूर्ण माह का फल प्राप्त किया जा सकता है।
गौतम बुद्ध विष्णु के नौंवे अवतार?
वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह भगवान बुद्ध के अवतरण का दिवस है। भगवान बुद्ध केवल बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए ही आराध्य नहीं है, बल्कि उत्तरी भारत में गौतम बुद्ध को हिंदुओं में भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना जाता है। विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्री कृष्ण माने जाते हैं। हालांकि दक्षिण भारत में बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं माना जाता है। दक्षिण भारतीय बलराम को विष्णु का आठवां अवतार और श्री कृष्ण को नौवां अवतार मानते हैं। हिंदुओं में भी वैष्णवों में बलराम को आठवां अवतार माना गया है। बौद्ध धर्म के कई अनुयायी भी भगवान बुद्ध को विष्णु का अवतार नहीं मानते, लेकिन इन तमाम पहुओं के बावजूद वैशाख पूर्णिमा का दिन बौद्ध अनुयायियों के साथ-साथ हिंदुओं के लिए खास महत्व रखता है।
वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु को प्रसन्न् करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं
- पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं से युक्त रहता है, इसलिए जिन लोगों को कोई मानसिक रोग है, मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं, वे इस दिन रात्रि में चांदी के बर्तन में साफ पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर रातभर चांद की चांदनी में रखें। फिर इस जल को चांदी के ही किसी बर्तन में भरकर रख लें। इस जल का थोड़ा-थोड़ा सेवन रोज करने से मानसिक रोग ठीक हो जाते हैं। इस जल में और जल मिलाते जाएं तो यह कभी समाप्त नहीं होगा। यह जल अनेक प्रकार के मानसिक रोगों में आराम देता है।
- पूर्णिमा के दिन मिश्री डालकर खीर बनाएं और इसे 12 वर्ष तक की सात कन्याओं का पूजन कर उन्हें खिलाएं। इससे आर्थिक सम्पन्न्ता बनी रहती है। व्यापार में लाभ होता है, नौकरी में प्रमोशन मिलता है।
- वैसे तो हमेशा ही घर में साफ-सफाई और सकारात्मक वातावरण रखना चाहिए, लेकिन पूर्णिमा के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व उठकर घर में साफ-सफाई करें। स्वयं स्नान करने के बाद घर में गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें। घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। कार्यस्थल पर भी गंगाजल का छिड़काव करें।
- पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में एक लोटा कच्चा दूध, जल, मिश्री और पीला पुष्प डालकर अर्पित करें। इससे धन-समृद्धि आएगी।
- पूजा के समय गाय के घी का दीपक जलाएं। धूप लगाएं और कपूर जलाएं। परिवार सहित देवी लक्ष्मी-विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा करें।
- लक्ष्मी माता को मखाने की खीर, साबूदाने की खीर या किसी सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद यह प्रसाद बाटें। ध्यान रखें कि आज के दिन घर में कलह का माहौल बिल्कुल न बने।
- सुबह या शाम को मंदिर जरूर जाएं। हनुमानजी के सामने चमेली के तेल और पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं। इस दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाने से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।
- शाम के समय चंद्रमा को जल अर्पित करें। धूप-दीप से उनका पूजन करें। भगवान की कृपा आप पर जरूर होगी।
- पूर्णिमा की रात्रि में तुलसी की माला से ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का लगातार जाप करने से विष्णु-लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। धन संपत्ति की प्राप्ति होती है।
वैशाख पूर्णिमा समय
- पूर्णिमा तिथि आरंभ- 18 मई सूर्योदय पूर्व रात्रि 02.41
- पूर्णिमा तिथि समाप्त- 19 मई सूर्योदय पूर्व रात्रि 01.42
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