धन-संपत्ति की कमी दूर करता है वरलक्ष्मी व्रत, जानिए पूजा-विधि और महत्व
नई दिल्ली। धन की आवश्यकता सभी को होती है, क्योंकि इस संसार में जीवन चलाने के लिए धन एक महत्वपूर्ण वस्तु है। हिंदू धर्म के चार पुरुषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष में भी धन को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। लेकिन अनेक लोग जीवनभर धन कमाने के लिए कड़ी मेहनत करते रहते हैं, फिर भी वे बहुत ज्यादा सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। कई लोग धन कमाने के लिए गलत रास्ते भी अपना लेते हैं, लेकिन गलत रास्ता उन्हें कभी न कभी पतन की ओर ले ही जाता है। यदि आप भी धन पाने की लालसा रखते हैं और कड़ी दौड़धूप के बाद भी परिवार का ठीक से पालन-पोषण करने योग्य धन भी अर्जित नहीं कर पा रहे हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे चमत्कारी व्रत के बारे में बता रहे हैं, जिसे यदि आप पूर्ण श्रद्धा-भक्ति और विधि के साथ करेंगे तो आपको धनवान बनने से कोई नहीं रोक पाएगा।
यह व्रत है, वरलक्ष्मी व्रत
यह व्रत प्रमुखत: दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है, लेकिन इसके चमत्कारिक प्रभाव के कारण अब उत्तर भारत में भी कई राज्यों में वरलक्ष्मी व्रत किया जाने लगा है। विष्णु पुराण और नारद पुराण में इस व्रत के बारे में उल्लेख है कि जो व्यक्ति वरलक्ष्मी व्रत करता है वह धन, वैभव, संपत्ति और उत्तम संतान से युक्त होता है। इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी का पूर्ण वरदान प्राप्त होता है और व्यक्ति की अनेक पीढ़ियों से अभाव और गरीबी की छाया मिट जाती है। वर का अर्थ है वरदान और लक्ष्मी का अर्थ है धन-वैभव। वरलक्ष्मी व्रत करने वाले के परिवार को समस्त सुख और संपन्न्ता की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।
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व्रत का प्रभाव
वरलक्ष्मी व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत करना वर्जित है। परिवार के सुख और संपन्न्ता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं। यदि पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो दुगुना फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं। आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है। वरलक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये हैं श्री, भू, सरस्वती, प्रीति, कीर्ति, शांति, संतुष्टि और पुष्टि। अर्थात वरलक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, ज्ञान, प्रेम, प्रतिष्ठा, शांति, संपन्न्ता और आरोग्यता आती है। इसे करने से सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।
पूजन सामग्री
मां लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र, पुष्प, पुष्प माला, कुमकुम, हल्दी, चंदन चूर्ण, अक्षत, विभूति, मौली, दर्पण्ा, कंघा, आम के पत्ते, पान के पत्ते, पंचामृत, दही, केले, दूध, जल, धूप बत्ती, दीपक, कर्पूर, घंटी, प्रसाद, एक बड़ा कलश।
वरलक्ष्मी व्रत की पूजा विधि
वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीरसागर से मानी गई है। गौर वर्ण की यह देवी दुग्ध के समान धवल वस्त्र धारण किए रहती है। वरलक्ष्मी व्रत करने से अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान फल मिलता है। वरलक्ष्मी व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष इस दिन व्रत रखें। लक्ष्मी की पूजा ठीक उसी प्रकार की जाती है जैसे दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की जाती है। वरलक्ष्मी को विभिन्न् प्रकार के सुगंधित पुष्प, मिठाई अर्पित किए जाते हैं। एक कलश सजाकर उस पर श्वेत रंग की रेशमी साड़ी सजाई की जाती है।
वरलक्ष्मी पूजन मुहूर्त 31 जुलाई 2020
- सिंह लग्न पूजा- प्रात: 7.12 से प्रात: 9.24 बजे तक
- अवधि 2 घंटे 11 मिनट
- वृश्चिक लग्न पूजा- दोपहर 1.48 से सायं 4.04 बजे तक
- अवधि 2 घंटे 16 मिनट
- कुंभ लग्न पूजा- सायं 7.56 से रात्रि 9.29 बजे तक
- अवधि 1 घंटा 33 मिनट
- वृषभ लग्न पूजा- मध्यरात्रि 12.41 बजे से रात्रि 2.39 बजे तक (1 अगस्त)
- अवधि 1 घंटा 58 मिनट
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