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खूब बरसेगा धन जब करेंगे वरलक्ष्मी व्रत, जानिए पूजा विधि

By Pt. Gajendra Sharma
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नई दिल्ली। आज के भौतिकतावादी युग में धन अत्यंत आवश्यक वस्तु बन गया है। धन के बिना सामान्य जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। वैसे धन की आवश्यकता तो सभ्यता के प्रारंभ से ही रही है, लेकिन वर्तमान समय के भौतिक काल में इसे पाना सबसे बड़ा कर्म बन गया है। इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति धन पाने की लालसा में दिन-रात दौड़धूप कर रहा है, लेकिन फिर भी धन सभी के पास नहीं होता। इसके लिए कर्म और भाग्य दोनों का साथ होना जरूरी है। आप धन पाने के लिए कितने भी कर्म कर लें लेकिन भाग्य साथ ना दे तो आप कुछ नहीं कर सकते।

वरलक्ष्मी व्रत

वरलक्ष्मी व्रत

धन पाने के लिए शास्त्रों में धन की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न् करने की बात कही गई है। लक्ष्मी को प्रसन्न् करने के लिए विभिन्न् उपाय किए जा सकते हैं। उन्हीं में से एक है वरलक्ष्मी व्रत। धन, वैभव, संपन्न्ता, समृद्धि, सुख, संपत्ति और अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए शास्त्रों में इस अत्यंत दुर्लभ व्रत का उल्लेख मिलता है। वर का अर्थ है वरदान और लक्ष्मी का अर्थ है धन-वैभव। वरलक्ष्मी व्रत करने वाले के परिवार को समस्त सुख और संपन्न्ता की प्राप्ति सहज ही हो जाती है।

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कब किया जाता है वरलक्ष्मी व्रत

कब किया जाता है वरलक्ष्मी व्रत

वरलक्ष्मी व्रत श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन से ठीक पहले आने वाले शुक्रवार को किया जाता है। इस साल श्रावण पूर्णिमा 15 अगस्त को आ रही है, उससे पहले 9 अगस्त को आने वाले शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जाएगा। यह व्रत आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इस व्रत के अत्यंत चमत्कारी प्रभाव के चलते अब यह व्रत भारत के अधिकांश राज्यों में किया जाने लगा है।

क्या होता है व्रत में

यह व्रत केवल विवाहित महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी कन्याओं के लिए यह व्रत करना वर्जित बताया गया है। परिवार के सुख और संपन्न्ता के लिए विवाहित पुरुष भी यह व्रत कर सकते हैं। यदि पति-पत्नी दोनों साथ में यह व्रत रखें तो दुगुना फल प्राप्त होता है। व्रत के प्रभाव से जीवन के समस्त अभाव दूर हो जाते हैं। आर्थिक संकट दूर हो जाते हैं और व्रती के जीवन में धन का आगमन आसान हो जाता है। वरलक्ष्मी व्रत से आठ प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती हैं। ये हैं श्री, भू, सरस्वती, प्रीति, कीर्ति, शांति, संतुष्टि और पुष्टि। अर्थात वरलक्ष्मी व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में धन, संपत्ति, ज्ञान, प्रेम, प्रतिष्ठा, शांति, संपन्न्ता और आरोग्यता आती है। इसे करने से सौंदर्य में भी वृद्धि होती है।

कैसे की जाती है पूजा

कैसे की जाती है पूजा

वरलक्ष्मी की उत्पत्ति क्षीरसागर से मानी गई है। गौर वर्ण की यह देवी दुग्ध के समान धवल वस्त्र धारण किए रहती है। मान्यता है कि वरलक्ष्मी व्रत करने से अष्टलक्ष्मी की पूजा के समान फल मिलता है। वरलक्ष्मी व्रत करने वाली महिलाएं और पुरुष इस दिन व्रत रखें। लक्ष्मी की पूजा ठीक उसी प्रकार की जाती है जैसे दीपावली पर लक्ष्मी पूजा की जाती है। वरलक्ष्मी को विभिन्न् प्रकार के सुगंधित पुष्प, मिठाई अर्पित किए जाते हैं। एक कलश सजाकर उस पर श्वेत रंग की रेशमी साड़ी डेकोरेट की जाती है।

पूजन मुहूर्त 9 अगस्त 2019, शुक्रवार

  • सिंह लग्न : प्रात: 6.37 से 8.40 तक, अवधि 2 घंटा 03 मिनट
  • वृश्चिक लग्न : दोपहर 12.48 से 2.59 तक, अवधि 2 घंटा 11 मिनट
  • कुंभ लग्न : सायं 7.00 से 8.42 तक, अवधि 1 घंटा 42 मिनट

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English summary
Varamahalakshmi festival is the most auspicious festival celebrated by a married woman to commemorate Goddess Mahalakshmi. The Pooja or Vrat is done in order to receive the blessings of Maa Lakshmi.
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