Utpanna Ekadashi 2019: जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा
नई दिल्ली। मार्गशीर्ष माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को उत्पत्ति एकादशी या उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इसे वैतरणी या उत्पत्तिका एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रीय मान्यताओं के अनुसार इसी दिन से एकादशी की उत्पत्ति या प्रारंभ हुआ था। कहा जाता है मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि के शरीर से एकादशी माता उत्पन्न हुई थी इसलिए इस एकादशी को उत्पत्ति या उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। इस दिन उपवास रखने से मन निर्मल और शरीर रोग रहित होता है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
एकादशी का क्षय
वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष उत्पन्ना एकादशी तिथि का क्षय हो रहा है, क्योंकि यह एकादशी 22 नवंबर को प्रातः 9.01 बजे से प्रारंभ होकर 23 नवंबर को प्रातः 6.23 पर ही समाप्त हो जाएगी। सूर्योदय के बाद से प्रारंभ होकर दूसरे दिन सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाने के कारण इस एकादशी का क्षय हो गया है। इसलिए शैव संप्रदाय को मानने वाले लोग इसका व्रत आज रखेंगे और वैष्णव मतावलंबी 23 नवंबर को व्रत रखेंगे।
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कैसै उत्पन्न हुई एकादशी माता
धर्मराज युधिष्ठिर ने जब भगवान श्रीकृष्ण से उत्पन्ना एकादशी के बारे में पूछा तो श्रीकृष्ण ने कहा- सतयुग में मूर नामका एक महाभयानक दैत्य था। जिसने इंद्र सहित सभी देवताओं को जीत लिया था। भयभीत देवता सहायता के लिए भगवान शिव के पास गए, तो शिवजी ने उन्हें श्रीहरि के पास यह कहते हुए भेजा कि वे ही उस दैत्य के आतंक से मुक्ति दिला सकते हैं। सभी देवता क्षीरसागर में शयन कर रहे श्रीहरि के पास पहुंचे। देवताओं के आग्रह वे मूर को मारने के लिए चंद्रावतीपुरी गए। उन्होंने महाभीषण युद्ध करते हुए सुदर्शन चक्र से अनेक दैत्यों का संहार कर दिया, लेकिन मूर को न मार सके। थकान होने के कारण श्रीहरि बद्रिका आश्रम की सिंहावती नामक 12 योजन लंबी गुफा में विश्राम करने चले गए। उन्हें जैसे ही वहां नींद लगी मूर उन्हें मारने वहां आ पहुंचा। जैसे ही मूर सोए हुए श्रीहरि पर प्रहार करने लगा, श्रीहरि के शरीर से एक दिव्य कन्या उत्पन्न हुई जिसने मूर का वध कर दिया। यही कन्या एकादशी थी। जागने पर श्रीहरि ने कन्या को वरदान दिया कि वह सभी तिथियों में सबसे प्रधान तिथि रहेगी और जो मनुष्य इस दिन व्रत रखकर, संयम का पालन करेगा उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होगी।
उत्पन्ना एकादशी कब से कब तक
- एकादशी प्रारंभ- 22 नवंबर को प्रातः 9.01 बजे से
- एकादशी पूर्ण- 23 नवंबर को सूर्योदय पूर्व प्रातः 6.23
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