Haridwar Kumbh Mela 2021: मकर संक्रांति पर होगा कुंभ का पहला स्नान, जानिए शाही स्नान की Date
Haridwar Kumbh Mela 2021: मकर संक्रान्ति के पावन पर्व पर हरिद्धार के कुंभ मेले की शुरुआत हो रही है। हालांकि कोरोना महामारी की वजह से इस बार भव्य आयोजन नहीं हो रहे हैं लेकिन फिर भी 14 फरवरी से पवित्र स्नान का आरंभ हो जाएगा। आपको बता दें कि कुंभ मेला, विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है। इस मेले में देश के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं और पवित्र नदी में स्नान करके अपने पापों का नाश करते हैं। कुछ भक्तगण पूरे एक महीने तक गंगा नदी के तट पर अल्पाहार, स्नान, ध्यान और दान करके 'कल्पवास' भी करते हैं।
इस बार कुंभ मेले में 6 प्रमुख स्नान हैं जिसकी लिस्ट निम्नलिखित है
- 14 जनवरी, 2021: मकर संक्रांति
- 11 फरवरी, 2021: मौनी अमावस्या
- 16 फरवरी, 2021: बसंत पंचमी
- 27 फरवरी, 2021: माघी पूर्णिमा
- 11 मार्च, 2021: महा शिवरात्रि (पहला शाही स्नान - शाही स्नान)
- 12 अप्रैल, 2021: सोमवती अमावस्या (दूसरा शाही स्नान)
- 14 अप्रैल, 2021: बैसाखी (तीसरा शाही स्नान)
- 27 अप्रैल, 2021: चैत्र पूर्णिमा (चौथा शाही स्नान)
यह पढ़ें: Makar Sankranti 2021: 'खिचड़ी' के पर्व पर अपनों को भेजें ये दिल छू लेने वाले मैसेज
कुछ खास बातें
- जब मेष राशि में सूर्य और कुंभ राशि में बृहस्पति प्रवेश करते हैं तब हरिद्वार में कुंभ का योग बनता है।
- चारों धामों, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनोत्री के लिये प्रवेश द्वार के रूप में प्रसिद्ध हरिद्वार में ग्रह नक्षत्रों के विशेष स्थितियों में हर 12वें वर्ष कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता है।
- नक्षत्रों, ग्रहों और राशियों के संयोग से इस कुंभ यात्रा का योग 6 और 12 वर्षो में बनता है।
- अर्द्ध कुंभ का पर्व केवल, प्रयाग और हरिद्वार में ही मनाया जाता है।
हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक हैं कुंभ नगरी
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब सागर मंथन के दौरान समुद्र से अमृत निकला तो देवताओं और असुरों में उसके लिए झगड़ा होने लगा लेकिन इसी बीच इंद्र पुत्र जयंत ने धन्वन्तरि के हाथों से अमृत कुंभ छीना और भाग खड़ा हुआ। इससे बौखलाकर दैत्य भी जयंत का पीछा करने के लिये भागे। जयंत 12 वर्षो तक कुंभ के लिये भागता रहा।
अमृत की कुछ बूंदे छलक कर गिर गई
इस अवधि में उसने 12 स्थानों पर अमृत का कुंभ रखा। जहां-जहां कुंभ रखा वहां-वहां अमृत की कुछ बूंदे छलक कर गिर गई और वे पवित्र स्थान बन गये इसमें से आठ स्थान, देवलोक में और चार स्थान भू-लोक अर्थात भारत में है। यह चार स्थान है हरिद्वार, प्रयाग, उज्जैन और नासिक इसलिए इन्हें कुंभ नगरी कहा जाता है।
यह
पढ़ें:
Makar
Sankranti
2021:
14
जनवरी
से
प्रारंभ
होगा
हरिद्वार
कुंभ
मेला