जमीन पर बैठकर भोजन करें तो इन बातों का रखें खास ख्याल
नई दिल्ली। आजकल लोग डायनिंग टेबल पर बैठकर भोजन करते हैं, लेकिन हिंदू सनातन परंपरा में जमीन पर आलथी-पालथी बनाकर बैठकर भोजन करने की परंपरा बताई गई है। दरअसल जमीन पर बैठकर भोजन करना एक प्रकार का योगाभ्यास है, जिससे भोजन को सही तरीके से पचाने में मदद मिलती है। यदि आप जमीन पर बैठकर भोजन करते हैं और भोजन की थाली सीधे जमीन पर रख देते हैं तो यह बिलकुल गलत बात है। ऐसा नहीं करना चाहिए। शास्त्र कहते हैं इससे अन्न् देवता का अपमान होता है। भोजन की थाली को सीधे जमीन पर नहीं रखना चाहिए, उसके नीचे कोई कपड़ा या लकड़ी का पटिया बिछा लेना चाहिए। प्राचीनकाल में लोग भोजन की थाली के नीचे पत्ते बिछा लेते थे और उससे भी पहले डबल पत्ते रख लिया करते थे।
आइए जानते हैं कुछ नियम ...
किसी आसन पर बैठकर ही भोजन करें
- भोजन करने के लिए यदि आप जमीन पर बैठ रहे हैं तो स्वयं किसी आसन पर बैठकर ही भोजन करें। इससे ग्रह पीड़ा नहीं होगी।
- भोजन की थाली को सीधे जमीन पर ना रखें। उसके नीचे लकड़ी का पटिया रख लेना चाहिए। इससे अन्न् का अपमान नहीं होगा।
- भोजन करने का पटिया चौकोर होना चाहिए, गोल या अंडाकार पटिये पर थाली रखकर भोजन ना करें, यह मानसिक तनाव देता है।
- भोजन करने का पटिया लकड़ी का ही होना चाहिए, प्लास्टिक, लोहे या किसी और धातु का पटिया नहीं होना चाहिए। धातु का पटिया मानसिक पीड़ा देता है।
यह पढ़ें: 14 जून से सूर्य मिथुन राशि में, जानिए क्या होगा असर?
भोजन करने के पटिए की ऊंचाई अधिक नहीं होना चाहिए...
- भोजन करने के लिए आम की लकड़ी का पटिया सबसे शुभ माना गया है।
- लकड़ी के पटिए की किनारी पर चारों ओर चांदी की डिजाइनर किनारी हो सकती है। यदि यह संभव ना हो तो किसी भी धातु का इस्तेमाल ना करें।
- पटिए पर थाली के साथ पानी, छाछ आदि का गिलास रखने का पर्याप्त स्थान होना चाहिए।
- भोजन करने के पटिए की ऊंचाई अधिक नहीं होना चाहिए।
- अन्न् में नौ ग्रहों का वास होता है। इसलिए कभी भी भोजन करते समय क्रोध ना करें, प्रसन्न् मुद्रा में भोजन करें।
भोजन शांत चित्त होकर करें
- भोजन शांत चित्त होकर करें, भोजन करते समय वार्तालाप ना करें।
- भोजन करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
- भोजन करने का स्थान साफ-स्वच्छ, हवादार होना चाहिए।
यह पढ़ें: अनजाना भय दूर करते हैं भैरवनाथ, कालाष्टमी पर 13 जून को करें विशेष पूजा