गुड़ी पड़वा, उगादि और नवरात्रि आज, जानिए क्या है तीनों का खास कनेक्शन?
लखनऊ। आज से चैत्र नवरात्र का शुभारंभ हुआ है, इन दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना होती है। चैत्र नवरात्रि से हिंदुओं का नव वर्ष भी शुरू हो जाता है। जिसे महाराष्ट्र और कोंकण में गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग अपने घर को फूलों से सजाते हैं और घर के आंगन में रंगोली बनाते हैं। कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में इस पर्व को उगादि के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म में इस पर्व को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं।
उगादि (युगादि)
चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को उगादि (युगादि) कहा जाता है। इस दिन हिन्दुओं का नया साल प्रारंभ होता है। उगादी पर्व को चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व को प्रमुख रूप से दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। इस तिथि को शास्त्रों में बड़ा महत्व दिया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान राम का राज्याभिषेक और सतयुग का प्रारंभ हुआ था। इसलिए इस दिन का काफी महत्व बताया गया है।
'गुड़ी' का अर्थ होता है 'विजय पताका'
'गुड़ी' का अर्थ 'विजय पताका' होता है। चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा कहते हैं। वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में गुड़ी पड़वा की गिनती होती है। कहते हैं इसी दिन महाराज युधिष्ठिर और महारात विक्रमादित्य का भी राज्याभिषेक हुआ था। वहीं विक्रमादित्य ने शकों पर भी इसी दिन विजय प्राप्त की थी , यह मुख्य तौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है।
चैत्र नवरात्रि के रूप में अपना नववर्ष मनाते हैं
उत्तर भारत के लोग चैत्र नवरात्रि के रूप में अपना नववर्ष मनाते हैं। इस दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की पूजा होती है, मां दुर्गा शक्ति की देवी हैं, कई घरों में लोग घट स्थापना करते हैं और 9 दिन उपवास रखते हैं।
रूप कई लेकिन अर्थ एक ही
आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में लोग न्यू ईयर 'युगादि' या 'उगादि' के रूप में मनाते हैं तो वहीं महाराष्ट्र वाले अपना नया साल 'गुड़ी-पड़वा' के रूप में सेलिब्रेट करते हैं, मतलब ये कि रूप भले ही अलग-अलग हैं लेकिन सब जगह मूल अर्थ एक ही होता है इसलिए ये दिन काफी पावन और पवित्र होता है।
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