वैशाख पूर्णिमा पर बना सोमवती पूर्णिमा का संयोग, जानिए खास बातें
नई दिल्ली, 12 मई। वैशाख पूर्णिमा 16 मई 2022 को आ रही है। इस बार वैशाख पूर्णिमा सोमवार को आने के कारण सोमवती पूर्णिमा का संयोग बना है। इस विशेष दिन पिछले एक माह से चल रहे वैशाख स्नान का समापन होगा। इस सोमवती पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों के जल में स्नान करने का बड़ा महत्व है। इस दिन गंगा, नर्मदा समेत अनेक पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी। तीर्थ स्थानों पर मेले लगेंगे। दान-पुण्य किया जाएगा। वैशाख पूर्णिमा पर यम की प्रसन्नता के लिए जलकुंभ का दान भी किया जाता है।
संपूर्ण वैशाख माह अत्यंत ही पुण्यदायी और पवित्र होता है। इस संपूर्ण माह में संकल्प लेते हुए पवित्र नदियों से जल से स्नान करते हैं, जप-तप, दान-पुण्य आदि करते हैं और पूर्णिमा के दिन वैशाख स्नान का समापन होता है। शास्त्रों के अनुसार जो लोग वैशाख स्नान नहीं कर पाए उन्हें माह के अंतिम दिन अर्थात् पूर्णिमा के दिन स्नानादि करके इसका पुण्य फल प्राप्त कर लेना चाहिए। इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म भी हुआ था इसलिए इसे बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। साथ ही इस दिन कूर्म जयंती भी मनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी प्राप्ति के भी अनेक उपाय किए जाते हैं और अकाल मृत्यु व रोगों से मुक्ति के लिए जलकुंभ का दान भी किया जाता है।
क्यों करते हैं जलकुंभ का दान
वैशाख पूर्णिमा के दिन जल से भरे हुए कुंभ अर्थात् मटके का दान करना चाहिए। यमराज की प्रसन्नता के लिए यह दान बड़ा फलदायी होता है। इससे मनुष्य के संपूर्ण परिवार की अकाल मृत्यु, आकस्मिक घटना-दुर्घटना से सुरक्षा होती है। परिवार में कोई व्यक्ति अत्यंत बीमार है, मरणासन्न स्थिति में है तो उसकी रक्षा के निमित्त जलकुंभ का दान अवश्य करना चाहिए।
वैशाख पूर्णिमा पर करें कुछ विशेष उपाय
- पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी संपूर्ण कलाओं से युक्त रहता है, इसलिए जिन लोगों को कोई मानसिक रोग है, मानसिक तनाव महसूस कर रहे हैं, वे इस दिन रात्रि में चांदी के बर्तन में साफ पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर रातभर चांद की चांदनी में रखें। फिर इस जल को चांदी के ही किसी बर्तन में भरकर रख लें। इस जल का थोड़ा-थोड़ा सेवन रोज करने से मानसिक रोग ठीक हो जाते हैं।
- पूर्णिमा के दिन मिश्री डालकर खीर बनाएं और इसे 12 वर्ष तक की सात कन्याओं का पूजन कर उन्हें खिलाएं। इससे आर्थिक संपन्नता बनी रहती है। कार्यो में गति मिलती है और आर्थिक संपन्नता बढ़ती जाती है।
- पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर घर में साफ-सफाई करें। स्वयं स्नान करने के बाद घर में गंगाजल और गोमूत्र का छिड़काव करें। घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं।
- पूर्णिमा के दिन पीपल के पेड़ में एक लोटा कच्चा दूध, जल, मिश्री और पीला पुष्प डालकर अर्पित करें। धन-समृद्धि आएगी।
- लक्ष्मी माता को मखाने की खीर, साबूदाने की खीर या किसी सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद यह प्रसाद बाटें।
- हनुमानजी के सामने चमेली के तेल और पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीया जलाएं। इस दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाने से सारे मनोरथ पूर्ण होते हैं।