Solar Eclipse 2020: आषाढ़ी अमावस्या 21 जून को, ग्रहण ने बढ़ाया पर्व का महत्व
नई दिल्ली। हिंदू धर्म में आषाढ़ माह को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। इस माह में प्रमुख रूप से भगवान विष्णु की आराधना तो की ही जाती है, शाक्त उपासकों के लिए गुप्त नवरात्रि भी इसी माह आती है। इस माह की प्रत्येक तिथि का अपना महत्व है लेकिन माह की अमावस्या और पूर्णिमा विशेषकर लाभप्रद मानी गई है। इस बार आषाढ़ी अमावस्या 21 जून 2020 रविवार को आ रही है। इस दिन सूर्यग्रहण होने के कारण यह दिन और भी महत्वपूर्ण हो गया है। खासकर पितृदोष, शनि दोष, कुंडली में मौजूद कालसर्प दोष के निवारण के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन ग्रहण समाप्ति के बाद यदि विशेष उपाय करेंगे तो आपकी समस्याएं दूर होंगी।
पितरों की शांति करें
जाने-अनजाने में यदि पितरों के प्रति कोई अपमान हो जाता है या उनके उत्तरकार्य ठीक से नहीं हो पाते हैं तो पितृ असंतुष्ट रह जाते हैं। ऐसे में उनके वंशजों के जीवन में अनेक प्रकार की परेशानियां आने लगती हैं, खासकर आर्थिक संकट, रोजगार का संकट, रोग और संतान प्राप्ति में कठिनाई आदि आती है। पितृ दोष की शांति के लिए अमावस्या का दिन तय है क्योंकि अमावस्या पितरों की तिथि मानी गई है। इस दिन अतृप्त पितृ अपने परिजनों से कुछ पाने की आशा में पृथ्वी पर आते हैं। अमावस्या के दिन यदि पितरों के निमित्त तर्पण, पिंड दान, अन्न् दान, धूप आदि कर्म किए जाएं तो इससे पितृ प्रसन्न् होते हैं और परिवार में उनके आशीर्वाद से खुशहाली आती है। इस दिन भगवान शिव का दूध से अभिषेक करने और गरीबों को दूध पिलाने या खीर खिलाने से पितृ दोषों से मुक्ति मिलती है।
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कालसर्प दोष की शांति करें
अमावस्या का दिन कालसर्प दोष की शांति का सबसे अचूक दिन होता है। कालसर्प दोष निवारण के लिए सुबह स्नान के बाद चांदी से निर्मित नाग-नागिन की विधिवत पूजा करवाएं। सफेद पुष्प के साथ इसे बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। कालसर्प दोष से राहत पाने का ये अचूक उपाय है। इस दिन 8 नारियल पर सिंदूर से नाग-नागिन का जोड़ा बनाकर दो-दो नारियल को मौली से बांधकर कालसर्प दोष वाले व्यक्ति के हाथ से जल में प्रवाहित करवाने से दोष की शांति होती है।
शनि
की
शांति
करें
अमावस्या तिथि शनि दोष की शांति के लिए भी महत्वपूर्ण होती है। जिन लोगों को शनि की साढ़ेसाती या लघु ढैया चल रहा है (वर्तमान में धनु, मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है और मिथुन और तुला राशि पर लघु ढैया चल रहा है।) वे आषाढ़ी अमावस्या के दिन शनिदेव का तैलाभिषेक करें और भूखे प्राणियों को भोजन कराएं। गरीबों को मीठे चावल खिलाने से शनि दोष की शांति होती है।
ये उपाय भी आजमाएं
- अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद आटे की गोलियां बनाएं। किसी तालाब या नदी किनारे जाकर ये आटे की गोलियां मछलियों को खिला दें। इस उपाय से आपके जीवन की अनेक परेशानियों का अंत हो सकता है।
- इस दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं। ऐसा करने से आपके पाप कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे। यही पुण्य कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे।
- यदि आपकी नौकरी नहीं लग पा रही है तो अमावस्या के दिन एक नीबू को गंगाजल से धोकर सुबह अपने घर के मंदिर में रख दें। फिर रात के समय इसे 7 बार अपने ऊपर से घड़ी की सुई की दिशा में घुमाकर इसके चार बराबर भाग कर लें और किसी चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में फेंक दे। वापस घर आ जाएं और मुड़कर पीछे न देखें।
- अमावस्या को सायंकाल घर के ईशान कोण में पूजा वाले स्थान पर गाय के घी का दीपक लगाने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
- धन प्राप्ति का एक अचूक टोटका कई तांत्रिक ग्रंथों में बताया गया है। अमावस्या की रात्रि को 5 लाल फूल और 5 जलते हुए दीये बहती नदी में प्रवाहित करें। इससे धन प्राप्ति के प्रबल योग बनेंगे।
- आषाढ़ी अमावस्या के दिन रात में 10 बजे बाद एकांत में बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है, साहस में वृद्धि होती है।
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