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पितृ-पक्ष में क्यों वर्जित हैं सारे शुभ और मांगलिक कार्य?

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नई दिल्ली। इस वक्त पितरों को खुश करने वाला वक्त यानी पित-पक्ष चल रहा है। 07 सितंबर से आरंभ हुए श्राद्ध काल में एक भी शुभ काम नहीं किया जाता है। ना इस दौरान मांगलिक कार्य होते हैं और ना ही कुछ खरीद-फरोख्त होती है।

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माना जाता है कि महीने के ये 15 दिन पितरों के लिए होते हैं। जिस तरह से घर-परिवार में जब किसी का देहांत हो जाता है तो शोकाकुल परिवार 13 दिन तक एक भी शुभ काम नहीं करता है, ठीक उसी तरह से इस वक्त भी अपने पितरों के लिए सारे अच्छे काम वर्जित होते हैं। ऐसा करके लोग पितरों पर अपना ध्यान लगाते हैं और उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं, जिससे उनका आशीर्वाद उन्हें मिलता रहे।

अपनी गलतियों के लिए भी अपने पितरों से क्षमा मांगते हैं

इस दौरान लोग अपनी गलतियों के लिए भी अपने पितरों से क्षमा मांगते हैं और उनकी याद में पूजा पाठ करते हैं। श्राद्ध की क्रिया से पितरों का पितृ ऋण उतारा जाता है। विष्णु पुराण में कहा गया है कि श्राद्ध से तृप्त होकर पितृ ऋण समस्त कामनाओं को तृप्त करते है।

पितरों के मन का भोजन बनाकर कौओं को खिलाते हैं

माना जाता है कि इस दौरान पितृगण पितृलोक से अपने-अपने घरवालों का हाल-चाल लेने आते हैं। इसलिए इन दिनों तर्पण किया जाता है। इन दिनों घरों में अक्सर बड़े बुजुर्ग अपने पितरों के मन का भोजन बनाकर कौओं को खिलाते हैं क्योंकि ऐसा कहा गया है कि पित्रहगण कौओं के रूप में भोजन खाने आते हैं इसलिए उन्हें उनके मन का खाना खिलाना चाहिए।

English summary
Pitru Paksha or the period of Shraddh is a term of 16 days in the Hindu calendar that is wholly dedicated to the forefathers and ancestors. During this Time Wedding and Shopping restricted.
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