Shravan 2018: इस बार विशिष्ट संयोगों से भरा है सावन का महीना, जानिए खास बातें
नई दिल्ली। भगवान शिव की कृपा पाने का पवित्र माह सावन 28 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। सावन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से तो महत्वपूर्ण है ही इस बार कुछ विशिष्ट संयोगों ने इस माह को और भी खास बना दिया है। इस माह तारीख और तिथियों के ऐसे संयोग आ रहे हैं जो इससे पूर्व लंबी अवधि में सावन में नहीं आए।
19 साल बाद आया 30 दिन का सावन
सबसे पहला संयोग सावन माह के दिन का है। इस बार श्रावण माह पूरे 30 दिनों का है और यह संयोग 19 वर्षों बाद बना है। इससे पूर्व वर्ष 1999 में श्रावण माह पूरे 30 दिनों का था। अक्सर तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण माह के दिन कम या ज्यादा हो जाते हैं, लेकिन इस बार पूरे 30 दिन भगवान शिव की आराधना के लिए मिलेंगे। ऐसा संभवत: अधिकमास के कारण हो रहा है।
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14 साल बाद शनिवार और हरियाली अमावस्या का संयोग
सावन माह में इस बार शनिवार और हरियाली अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। 14 साल बाद सावन माह में हरियाली अमावस्या शनिवार को आ रही है। यह शनैश्चरी हरियाली अमावस्या है। इससे पूर्व 27 जुलाई 2004 को सावन माह में शनिवार को हरियाली अमावस्या आई थी।सावन माह में शनिवार को अमावस्या का आना अत्यंत शुभ और दुर्लभ संयोग माना जाता है। इस दिन संगम सहित पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। कई प्रकार तंत्र-मंत्र और आध्यात्मिक गतिविधियों के लिए भी यह दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। शिव और शनि से जुड़ा होने के कारण यह दिन शनि की पीड़ा और कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए भी खास दिन होगा।
71 साल में दूसरी बार स्वतंत्रता दिवस पर नागपंचमी
सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नागपंचमी होती है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। इस बार 15 अगस्त के दिन नागपंचमी आ रही है। देश की आजादी के बाद यह दूसरा मौका है जब 15 अगस्त के दिन यह त्योहार आया है। इससे पूर्व 38 साल पहले वर्ष 1980 में स्वतंत्रता दिवस पर नागपंचमी आई थी। जीवन की विभिन्न् समस्याओं और रोग निवारण के लिए इस दिन विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के ऊपर श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है, जिसके पट साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर ही खोले जाते हैं। इस बार नागचंद्रेश्वर मंदिर के कपाट 14 अगस्त की मध्यरात्रि में खुलेंगे।
3 साल बाद राखी पर भद्रा का साया नहीं
रक्षाबंधन के दिन अक्सर भद्रा का साया रहने के कारण राखी बांधने को लेकर संशय की स्थिति रहती है। इस बार रक्षाबंधन पर भद्रा का साया नहीं रहेगा। यह संयोग 3 साल बाद बना है। इस दिन सुबह से रात तक रक्षाबंधन किया जा सकेगा। पूर्णिमा पर इस बार धनिष्ठा नक्षत्र है। धनिष्ठा पंचक का नक्षत्र है, लेकिन पंचक का विचार केवल अशुभ कार्यों में किया जाता है। शुभ कार्यों में इसका फल पांच गुना अधिक मिलता है।
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